साईं बाबा व्रत कथा |  Sai Baba Vrat Katha In Hindi

कोकिला ने महात्मा के अनुसार बताई गई विधि से प्रत्येक गुरुवार को साईं बाबा का व्रत किया।
 

किसी तरह से खाना और किताबों का इंतजाम करके कोकिला ने ये सब कार्य भी पूरा कर लिया।

जैसे ही यह सारे कार्य सम्पन्न हुए कोकिला के घर में होने वाले झगड़े और महेशभाई के कारोबार में आई अड़चनें दूर हो गईं।


कोकिला ने महात्मा के अनुसार बताई गई विधि से प्रत्येक गुरुवार को साईं बाबा का व्रत किया। फिर आखिरी यानी 9वें गुरुवार को उसे गरीबों को भोजन कराना और साईं पुस्तकें बांटनी थी। किसी तरह से खाना और किताबों का इंतजाम करके कोकिला ने ये सब कार्य भी पूरा कर लिया। जैसे ही यह सारे कार्य सम्पन्न हुए कोकिला के घर में होने वाले झगड़े और महेशभाई के कारोबार में आई अड़चनें दूर हो गईं।


अब दोनों पति-पत्नी सुख से अपनी जिंदगी जी रहे थे। एक दिन कोकिला की जठानी और कोकिला आपस में घर-परिवार से जुड़ी बातें करने लगे। उसी समय कोकिला की जेठानी ने उसे बताया कि उसके बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता और वो स्कूल की हर परीक्षा में फेल हो जाता है।

जेठानी की बातें सुनकर कोकिला का मन भर आया। उसने तुरंत साईं व्रत के बारे में अपनी जेठानी को बताया। पहले कोकिला ने अपने घर का किस्सा सुनाया कि वो कितने परेशान थे और साईं बाबा कि कृपा से आज कितने सुखी हैं। उसके बाद कोकिला ने अपनी जेठानी को पूरे 9 गुरुवार साईं व्रत करने को कहा और उसकी विधि भी बताई।

कोकिला की जेठीनी ने ठीक वैसा ही किया और कुछ ही समय में उसके जीवन का संकट भी दूर हो गया। उसका बच्चे का मन पढ़ाई में लगने लगा और उसके अच्छे अंक आने लगे।

कहानी से सीख: मुसीबत के समय घबराने की जगह आराध्य पर सच्ची श्रद्धा रखते हुए परेशानी दूर करने की कोशिश में लगे रहना चाहिए।