जानियें  जुलाई माह में भगवान गणेश को कैसे करें खुश ,शुभ मुहूर्त व पूजा विधि . 

हर माह भगवान गणेश को समर्पित चतुर्थी पर्व मनाया जाता है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर भगवान गणेश के लिए व्रत रखा जाता है।
 

विनायक चतुर्थी 2024 तिथि


हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 जुलाई को सुबह 6.08 बजे शुरू होगी

और यह तिथि अगले दिन यानी 10 जुलाई को सुबह 7.51 बजे समाप्त होगी। इस दिन चंद्रास्त रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगा।

ऐसे में विनायक चतुर्थी व्रत 9 जुलाई को रखा जा सकता है।


    


धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में  सभी विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं। हर महीने दो चतुर्थी पर्व मनाए जाते हैं। इन दोनों ही पर्व का बहुत महत्व होता है। गणेश जी की कृपा पाने के लिए इस दिन व्रत भी रखा जाता है।

 

 


हर माह भगवान गणेश को समर्पित चतुर्थी पर्व मनाया जाता है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर भगवान गणेश के लिए व्रत रखा जाता है। चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं। जुलाई का महीना शुरू होने वाला है। ऐसे में आइए, जानते हैं कि इस माह में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है।


विनायक चतुर्थी 2024 तिथि


हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 जुलाई को सुबह 6.08 बजे शुरू होगी और यह तिथि अगले दिन यानी 10 जुलाई को सुबह 7.51 बजे समाप्त होगी। इस दिन चंद्रास्त रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में विनायक चतुर्थी व्रत 9 जुलाई को रखा जा सकता है।


सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 24 जुलाई को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर होगी और ये तिथि अगले दिन यानी 25 जुलाई को सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत 25 जुलाई को रखा जाएगा।

चतुर्थी पूजा विधि


इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।


पूजा स्थल पर गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।


संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें।


व्रत रख रहे हैं, तो पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें।


बप्पा को फल, फूल, अक्षत, दूर्वा आदि भी चढ़ाएं।


इसके बाद गणेश स्तोत्र का पाठ करें।


रात्रि के समय जल में दूध, फूल, अक्षत डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।