16  फरवरी को विजया एकादशी जानें पूजन विधि और महत्व

विजया एकादशी के दिन सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा व्रत करता है उसे हर काम में सफलता प्राप्त होती है. 
 
व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं. उसमें भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है.

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को हर काम में विजय, सफलता की प्राप्ति होती है. ऐसे में माना जाता है कि जो कोई भी इंसान विजया एकादशी के दिन सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा व्रत करता है उसे हर काम में सफलता प्राप्त होती है. 

व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं. उसमें भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चंद्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चंद्रमा के बुरे प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि एकादशी का व्रत रखने से ग्रहों के असर को भी काफी कम किया जा सकता है.

विजया एकादशी अपने नाम के अनुसार विजय दिलाने वाली मानी जाती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना होती है. इस एकादशी का व्रत करने से भयंकर विपत्तियों से छुटकारा पा सकते हैं. विजया एकादशी पर पूजा उपासना करने से बड़े से बड़े शक्तिशाली शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं. इस बार विजया एकादशी की डेट को लेकर  लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है कि विजया एकादशी 16 फरवरी या 17 फरवरी को मनाई जाएगी.

विजया एकादशी शुभ मुहूर्त

विजया एकादशी का व्रत फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. पंडित अरुणेश कुमार शर्मा के मुताबिक, इस बार विजया एकादशी 16 फरवरी और 17 फरवरी दोनों दिन मनाई जाएगी. विजया एकादशी की तिथि का प्रारंभ 16 फरवरी को सुबह 05 बजकर 32 मिनट पर होगा और इसका समापन 17 फरवरी को रात 02 बजकर 49 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार विजया एकादशी 16 फरवरी को ही मनाई जाएगी. वैष्णव समुदाय की एकादशी 17 फरवरी को ही मनाई जाएगी. विजया एकादशी का पारण 17 फरवरी को सुबह  08 बजकर 01 मिनट से लेकर 09 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.

विजया एकादशी पूजन विधि

विजया एकादशी से एक दिन पहले उसपर एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान्य रखें. विजया एकादशी के दिन श्री हरि की स्थापना एक कलश पर करें. इसके बाद श्रद्धापूर्वक श्री हरि का पूजन करें. मस्तक पर सफेद चंदन या गोपी चंदन लगाकर पूजन करें. उसके बाद पंचामृत, फूल और ऋतुफल अर्पित करें. इस दिन उपवास रखना बहुत ही उत्तम जाता है, अगर आहार ग्रहण करनी ही है तो सात्विक आहार ग्रहण करें. शाम को आहार ग्रहण करने से पहले उपासना और आरती जरूर करें. अगले दिन प्रात: काल उसी कलश

का और अन्न वस्त्र का दान करें.

 विजया एकादशी की सावधानियां

 1.  अगर उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करें.

  2.  विजय एकादशी के दिन चावल और भारी खाने का सेवन ना करें.

 3.      रात में इस दिन भगवान विष्णु की पूजा आवश्य करें.

4.      इस दिन क्रोध न करें, अपनी वाणी   पर  नियंत्रण रखें और आचरण पर भी नियंत्रण