8 घंटे बैठे रहने से याददाश्त कमजोर होती है:3 घंटे खड़े रहें, इससे लंबा जीवन जीने में मदद मिलती है

न्यूयॉर्क के ग्लोबल वेलबीइंग लीड के माइलार्ड हॉवेल बताते हैं कि लगातार बैठे रहने से समय के साथ मानसिक स्वास्थ्य और याददाश्त पर नकारात्मक असर पड़ता है।
 
लंबे समय तक बैठे रहने का असर अब लोगों के दिमाग पर पड़ने लगा है।

ऑफिस में लंबी सिटिंग इन दिनों आम बात हो गई है। चाहे दफ्तर हो या रिमोट वर्किंग, वयस्क काम के दौरान 8 घंटे तक गतिहीन होकर एक ही जगह बैठे-बैठे बिता रहे हैं। लंबे समय तक बैठे रहने का असर अब लोगों के दिमाग पर पड़ने लगा है। इससे याददाश्त कमजोर होती है, जिससे कई बार आप कई जरूरी बातें भूल जाते हैं।

ऐसे लोगों को 3 घंटे खड़े रहना जरूरी

हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया कि ऐसे लोगों को दिन में करीब 3 घंटे तक खड़े रहना जरूरी है। इससे लंबा जीवन जीने में मदद मिलती है। शोध के अनुसार खड़े रहने से ब्लड में शुगर का स्तर कम होता है।

दिल की बीमारी का जोखिम कम हो जाता है और उन लोगों की तुलना में कम तनाव और थकान होती है, जो 8 घंटे या उससे ज्यादा समय तक बैठे रहते हैं।

न्यूयॉर्क के ग्लोबल वेलबीइंग लीड के माइलार्ड हॉवेल बताते हैं कि लगातार बैठे रहने से समय के साथ मानसिक स्वास्थ्य और याददाश्त पर नकारात्मक असर पड़ता है। खड़े होने से न्यूरल एजिंग के मुद्दों से लड़ने में मदद मिल सकती है, जैसे मेडियल टेम्पोरल लोब बिगड़ना, जो दिमाग का वह क्षेत्र है, जिसमें मेमोरी होती है।

बैठे रहने से पैरों में अपंगता तक आ सकती है

इसके अलावा लंबे समय तक बैठने से शरीर के सभी हिस्सों में रक्त का संचार प्रभावित होता है। मस्तिष्क में रक्त का संचार ठीक ढंग से न होने पर दिमाग की कोशिकाओं में ऑक्सीजन व पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।

लेकिन लंबे समय तक एक जगह पर टिककर बैठे रहने से यह पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसका असर हमारे पैरों पर भी पड़ता है। एक ही स्थिति में बैठे रहने से पैरों में अपंगता तक आ सकती है।आधे घंटे में 2 मिनट उठकर टहलना बेहद जरूरी