व्यवसायिक शिक्षा पर निबंध -

व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा होती है जिसके द्वारा किसी खास विषय या क्षेत्र में महारत हासिल की जाती है। यह कौशल प्रशिक्षण की शिक्षा होती है।
 

वोकेशनल प्रोग्राम के प्रकार

व्यवसायिक शिक्षा कहाँ से की जाय

व्यवसायिक शिक्षा के लाभ

भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाएँ:

1) उड़ान (UDAAN)

2) पॉलिटेक्निक

3) औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान

4) एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन)

5) शिल्पकार प्रशिक्षण योजना

                     
व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा होती है जिसके द्वारा किसी खास विषय या क्षेत्र में महारत हासिल की जाती है। यह कौशल प्रशिक्षण की शिक्षा होती है। यह विविध पाठ्यक्रमों जैसे कम्प्यूटर, बैकिंग, वित्त, पर्यटन, व्यापार आदि क्षेत्रों में कुशल बनाया जाता है। बिना व्यवहारिक ज्ञान के केवल किताबी ज्ञान से आप कोई भी काम कुशलता से नहीं कर सकते। आज कल यह बहुत ही प्रासंगिक विषय है, जिसे प्रायः स्कूल-कॉलेजों में पूछा जाता है। यहां हम विभिन्न शब्द-सीमाओं में बँधे कुछ निबंध प्रस्तुत कर रहे है, आप अपने अनुकूल चयन कर सकते है।

 

 

वोकेशनल प्रोग्राम के प्रकार

वोकेशनल शिक्षा छात्रो को विभिन्न औद्योगिक एवम् व्यवसायिक रोजगार के लिए तैयार करती है। अब बहुत सारी औद्योगिक कंपनियाँ भी कर्मचारियों के लिए विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्रामो का आयोजन करती है। जॉब-सीकर्स इन प्रोग्रामो का हिस्सा बनकर एक कुशल हाथ का सृजन कर करते है। और अपनी महत्ता को बढ़ा सकते है।

राष्ट्रीय साक्षरता मिशन, भारत सरकार एवं सी.बी.एस.ई (सेण्ट्रल बोर्ड आफ सेकेन्डरी एजुकेशन) भी कई वोकेशनल कोर्सेस को अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रही है। कई ट्रेड संस्थान ऐसे वोकेशनल ट्रेनिंग कोर्स करवाते है, आप अपनी रूचि और आवश्यकता के अनुसार इन पाठ्यक्रमो में से चुन सकते है। छात्र अपनी पढ़ाई के साथ-साथ इन कोर्सेस को सीखने का भी लाभ उठा सकते है, इससे दो फायदे होंगे, एक छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान ही सीख कर समय का सदुपयोग कर सकता है, साथ ही उसे पढ़ाई खत्म होने के तुरंत बाद नौकरी मिल सकती है। उसे नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाने की जरूरत नहीं।


अकाउंटेंसी एवं आडीटिंग, मार्केटिंग और सेल्स, बैंकिग, बिजनस एडमिनिस्ट्रेशन, इलेक्ट्रिकल तकनीकी, आटो-मोबाइल टेक्नोलॉजी, सिविल अभियांत्रिकी, आईआईटी अनुप्रयोग इत्यादि कुछ ऐसे क्षेत्र है, जिन्हे छात्र सीनियर लेवल पर छात्र अपने विषय के रूप में चुन सकता है। और आगे चलकर इन क्षेत्रो में अपना भविष्य तलाश सकता है।

व्यवसायिक शिक्षा कहाँ से की जाय

समय की माँग को देखकर भारत-सरकार छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई वोकेशनल ट्रेनिंग फुल-टाइम और पार्ट-टाइम दोनो रूपों में मुहैय्या करा रही है। फुल टाइम कोर्स में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट दोनो तरह के कोर्स होते है, जिन्हें विभिन्न आई-टी-आई और पॉली-टेक्नीक संस्थान करवाती हैं। जो कि सरकारी और गैर-सरकारी दोनो रूपो में होती है। जबकि पार्ट-टाइम विविध राज्य-स्तरीय तकनीकी शिक्षा के अन्तर्गत संचालित की जाती है। वैसे पॉलि-टेक्नीक इन तरह के पाठ्यक्रमो के लिए सर्वाधिक उपयुक्त साधन होते है।

व्यवसायिक शिक्षा के लाभ

व्यवसायिक शिक्षा के अनगिनत लाभ है। व्यवसायिक शिक्षा, ज्ञान और अनुभव से परिपूर्ण प्रशिक्षित प्रतिभा का सृजन करने का एक स्वच्छंद, स्थिर एवं अपरंपरागत माध्यम है। प्रशिक्षित छात्र इन कोर्सो को करके जमीनी स्तर पर हुनरमंद और काबिल बनते है, और अपना अनुभव और काबिलियत अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में भी दिखाते है।

यह बेहद कम समय और खर्चे मे छात्रो को कौशल प्रदान कर उनका जीवन सवार रही है। अपने समकक्ष छात्रो की तुलना मे वोकेशनल शिक्षा प्राप्त कर एक छात्र औरो की तुलना में कही पहले अपना करियर सैटल कर सकता है। जिन्दगी एक रेस की भाँति ही होता है, इसमे उसी का घोड़ा जीतता है, जिसकी लगाम एक कुशल, निपुण और अनुभवी जॉकी के हाथो मे होती है। जिस देश मे जितने ज्यादा स्कील्ड लोग होगे, वह देश उतनी ही तेजी से तरक्की करता है। जापान इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। जापान मे 97% लोग स्कील्ड है, यही उनकी ग्रोथ का एकमात्र कारण है। जापान की टेक्नॉलॉजी का लोहा पूरा विश्व मानता है।

भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाएँ:

भारत सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े निर्धन वर्गों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। इन योजनाओं में से कुछ महत्वपूर्ण योजनाए अधोलिखित है-

1) उड़ान (UDAAN)

यह कार्यक्रम विशेषतः जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए शुरू किया गया है। यह पाँच साल का कार्यक्रम और यह सूचना प्रौद्योगिकी, बीपीओ और खुदरा क्षेत्र में व्यावसायिक प्रशिक्षण शिक्षा और रोजगार मुहैय्या कराता है।

2) पॉलिटेक्निक

पॉलिटेक्निक भारत के लगभग सभी राज्यों में चलने वाला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है। यह इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान के भिन्न-भिन्न विषयों में तीन वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करता है। पॉलि-टेक्नीक की शिक्षा गांव-गांव, शहर-शहर में प्रचलित है, जो जन-जन तक पहुंचकर छात्रो की राह आसान कर रही है।

3) औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान विभिन्न इंजीनियरिंग और गैर इंजीनियरिंग विषयों में व्यावसायिक प्रशिक्षण चलाते हैं। आईटीआई का प्रबंधन भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता द्वारा निर्देशित एवं कार्यान्वित होता है।

4) एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन)

जून 2011 में लागू किया गया, NRLM को खास तौर पर BPL (गरीबी रेखा से नीचे) समूह के लिए चलाया गया है। इसका उद्देश्य विभिन्न ट्रेडों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगो, खासकर महिलाओं को भिन्न-भिन्न उद्यम एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है, ताकि वे खुद को क्रियाशील एवं रोजगारपरक बनाकर, अपनी और अपने परिवार की आजीविका कमा सके।

5) शिल्पकार प्रशिक्षण योजना

यह योजना विभिन्न इंजीनियरिंग विषयों के साथ-साथ पैरामेडिकल, कृषि और वाणिज्य आदि के क्षेत्र में व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए शुरू की गयी है। इसे व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

निष्कर्ष

व्यवसायिक शिक्षा आज की युवा-पीढ़ी के लिए किसी वरदान से कम नहीं। जो छात्र प्रोफेशनल कोर्स नही कर सकते, उन्हे निराश होने की जरूरत नही। व्यवसायिक शिक्षा उन्ही बच्चो के लिए है।व्यवसायिक शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य आम नागरिक के हाथ में हुनर देकर देश की प्रगति में योगदान देना है।