"IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) में निवेश के बाद कितने दिनों में निवेशक बेच देते हैं अपने शेयर? SEBI का डेटा करेगा आपको हैरान"

Stock Market:  SEBI के आंकड़ों से यह साफ है कि IPO में व्यक्तिगत निवेशकों का व्यवहार रिटर्न पर निर्भर करता है। जब IPO में 1 सप्ताह के भीतर 20% से अधिक रिटर्न मिलता है, तो व्यक्तिगत निवेशक 67.6% शेयर बेच देते हैं। वहीं, नकारात्मक रिटर्न के दौरान, वे सिर्फ 23.3% शेयर ही बेचते हैं।
 

जब IPO बेहतर रिटर्न देता है, तो निवेशक 7 दिन के भीतर अपने शेयर बेचकर निवेश से बाहर हो जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार, निवेशक एक सप्ताह के अंदर वैल्यूएशन के हिसाब से आवंटित शेयरों का 54% हिस्सा बेच देते हैं।

Stock Market:  SEBI के आंकड़ों से यह साफ है कि IPO में व्यक्तिगत निवेशकों का व्यवहार रिटर्न पर निर्भर करता है। जब IPO में 1 सप्ताह के भीतर 20% से अधिक रिटर्न मिलता है, तो व्यक्तिगत निवेशक 67.6% शेयर बेच देते हैं। वहीं, नकारात्मक रिटर्न के दौरान, वे सिर्फ 23.3% शेयर ही बेचते हैं।

यह डेटा दर्शाता है कि निवेशक तेजी से लाभ उठाने की प्रवृत्ति रखते हैं, लेकिन नुकसान के समय अपेक्षाकृत कम बेचते हैं।

सेबी के एक सर्वे के मुताबिक, आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) में निवेशकों की रुचि लगातार बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण आईपीओ से तगड़ी कमाई की उम्मीद है। लेकिन एक दिलचस्प तथ्य यह है कि ज्यादातर निवेशक लंबे समय तक शेयर होल्ड नहीं करते।

जब IPO बेहतर रिटर्न देता है, तो निवेशक 7 दिन के भीतर अपने शेयर बेचकर निवेश से बाहर हो जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार, निवेशक एक सप्ताह के अंदर वैल्यूएशन के हिसाब से आवंटित शेयरों का 54% हिस्सा बेच देते हैं।

हालांकि, जब रिटर्न 20% या उससे अधिक होता है, तो यह प्रतिशत और बढ़कर 67.6% हो जाता है। इसके विपरीत, नकारात्मक रिटर्न की स्थिति में, निवेशक सिर्फ 23.3% शेयर ही बेचते हैं।

यह डेटा बताता है कि अधिकांश निवेशक अल्पकालिक लाभ लेने की रणनीति अपनाते हैं और दीर्घकालिक होल्डिंग के बजाय बाजार के उतार-चढ़ाव पर तेजी से प्रतिक्रिया देते हैं।

मुनाफे वाले आईपीओ से जल्दी निकलते हैं निवेशक

सेबी के अध्ययन से पता चलता है कि आईपीओ में निवेशकों का व्यवहार उनके रिटर्न और सूचीबद्धता के बाद के मूल्य आंदोलनों पर निर्भर करता है। अध्ययन ने अप्रैल 2021 से दिसंबर 2023 के बीच 144 आईपीओ के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिनके माध्यम से कुल 2.13 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए।

अध्ययन की मुख्य बातें:

  1. आईपीओ लिस्टिंग पर बिक्री का पैटर्न:
    • 54% शेयर (मूल्य के अनुसार) सूचीबद्धता के एक सप्ताह के भीतर बेचे गए।
    • व्यक्तिगत निवेशकों ने 50.2%, गैर-संस्थागत निवेशकों (NII) ने 63.3%, और खुदरा निवेशकों ने 42.7% शेयर एक सप्ताह में बेच दिए।
    • व्यक्तिगत निवेशकों ने एक साल के भीतर 70% शेयर बेच दिए।
  2. म्यूचुअल फंड और बैंकों का दृष्टिकोण:
    • म्यूचुअल फंड ने लिस्टिंग के एक सप्ताह के भीतर केवल 3.3% शेयर बेचे।
    • दूसरी ओर, बैंकों ने 79.8% शेयर इसी अवधि में बेच दिए, जो उनके अल्पकालिक रुख को दर्शाता है।
  3. रिटर्न का असर:
    • जब आईपीओ लिस्टिंग के एक सप्ताह में 20% या उससे अधिक रिटर्न मिला, तो व्यक्तिगत निवेशकों ने 67.6% शेयर बेच दिए।
    • नकारात्मक रिटर्न की स्थिति में केवल 23.3% शेयर बेचे गए।
  4. डीमैट खातों की बढ़ोतरी और भागीदारी:
    • आईपीओ में भाग लेने वाले डीमैट खातों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 2021-2023 के दौरान खोले गए डीमैट खातों का आईपीओ में आधा योगदान रहा।
    • राज्यों के संदर्भ में, गुजरात के निवेशकों ने सबसे ज्यादा (39.3%) हिस्सेदारी हासिल की, इसके बाद महाराष्ट्र (13.5%) और राजस्थान (10.5%) का स्थान रहा।

निवेश व्यवहार का विश्लेषण:

यह डेटा बताता है कि खुदरा और व्यक्तिगत निवेशक लाभ जल्दी बटोरने में रुचि रखते हैं, जबकि म्यूचुअल फंड जैसी संस्थाएं लंबी अवधि की रणनीति अपनाती हैं। डीमैट खातों की बढ़ती संख्या और कोविड के बाद के समय में आईपीओ की लोकप्रियता ने इस प्रवृत्ति को और मजबूत किया है।