पत्र -लेखन .   अपनी  भूल  के लिए  क्षमा -  याचना करते हुए पिता जी को एक पत्र।

हमारे विद्यालय की ओर से जयपुर के लिए शैक्षणिक यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया था। में भी इसमें भाग लेना वाहता था।

 
आज आपको पत्र लिखने के बाद में इस बोझ से मुक्त हुआ है।

22  कमला छात्रावास,

हिंदू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय

सिरसा । 

23 जुलाई ,2024 

पूज्य पिता जी,

सादर चरण वंदना।

                                           आशा है कि आपको मेरा पत्र मिला होगा। उसमें मैंने लिखा था कि मुझे 300 रुपए पुस्तकों और कापियों के लिए  चाहियें ।    वस्तुतः एक मित्र के बहकावे में आकर मैंने ऐसा लिख दिया था। वास्तव में हमारे विद्यालय की ओर से जयपुर के लिए शैक्षणिक यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया था। में भी इसमें भाग लेना वाहता था।

मैंने सोचा आप शायद मुझे जयपुर जाने की अनुमति नहीं देगे। अतः मित्र के कहने पर मैंने यह लिख भेजा था कि मुझे पुस्तकों और कापियों के लिए पैसों की आवश्यकता है। बाद में आपको झूठ लिखने के अपराध के कारण मुझे आत्मग्लानि हुई। दो दिनों तक तो मेरा मन पढ़ाई में भी नहीं लगा।

आज आपको पत्र लिखने के बाद में इस बोझ से मुक्त हुआ है। आशा है कि आप मेरी पहली भूल को क्षमा करेंगे। मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में में ऐसी गलती नहीं करूंगा।

यदि आप अनुमति देंगे, तभी में शैक्षणिक यात्रा पर जाऊँगा, अन्यया नहीं। एक बार पुनः क्षमा-याचना।

आपका सुपुत्र,

दिनेश