RAS Mains Result: 147 दिन बाद भी इंतजार, RPSC ने बताई देरी की वजह

RAS Mains 2023: परिणाम में देरी पर RPSC का स्पष्टीकरण
 
  • RAS 2012:स्केलिंग और तकनीकी कारणों से परिणाम में देरी।
  • RAS 2013:पेपर आउट होने के कारण परीक्षा स्थगित हुई और तकनीकी समस्याओं से देरी हुई।
  • RAS 2016:सुप्रीम कोर्ट में एसबीसी आरक्षण से संबंधित विवाद के चलते विलंब।
  • RAS 2018:प्रश्र पत्रों पर याचिकाओं के कारण परिणाम में देरी।
  • RAS 2021:हाईकोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नों पर आपत्ति जताते हुए परिणाम निरस्त कर दिया था।

RAS Mains 2023: परिणाम में देरी पर RPSC का स्पष्टीकरण

पिछली भर्तियों में हुई खामियों से सबक लेते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) इस बार RAS मेंस-2023 के परिणाम को लेकर बेहद सतर्क है। आयोग जल्दबाजी से बचते हुए प्रत्येक स्तर पर गहन जांच कर रहा है, ताकि परिणाम पूरी तरह से पुख्ता और विवाद-मुक्त हो। इस परीक्षा को हुए 147 दिन (लगभग पांच महीने) बीत चुके हैं, लेकिन परिणाम अब तक जारी नहीं हुआ है।

 

 

आयोग क्यों ले रहा है समय?

RPSC सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि पिछली भर्तियों में हुई विवादास्पद घटनाओं के कारण इस बार आयोग अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। स्कैनिंग के बाद परिणाम तैयार हो चुका है, लेकिन इसकी बार-बार जांच की जा रही है ताकि भविष्य में इसे किसी भी तरह की कानूनी चुनौती का सामना न करना पड़े।

 

 

पिछली भर्तियों की खामियां और विवाद

पिछले वर्षों में RAS भर्तियों के दौरान कई बार विवाद सामने आए।

RAS 2012: स्केलिंग और तकनीकी कारणों से परिणाम में देरी।

RAS 2013: पेपर आउट होने के कारण परीक्षा स्थगित हुई और तकनीकी समस्याओं से देरी हुई।

RAS 2016: सुप्रीम कोर्ट में एसबीसी आरक्षण से संबंधित विवाद के चलते विलंब।

RAS 2018: प्रश्र पत्रों पर याचिकाओं के कारण परिणाम में देरी।

RAS 2021: हाईकोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नों पर आपत्ति जताते हुए परिणाम निरस्त कर दिया था।

 

अभ्यर्थियों में बढ़ता असंतोष

147 दिनों की इस देरी से अभ्यर्थियों में निराशा बढ़ रही है। वे आयोग से जल्द परिणाम जारी करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, RPSC यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस बार कोई भी त्रुटि न हो और परिणाम को कानूनी दांव-पेंचों से बचाया जा सके।

 

राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) की ओर से 575 पदों पर सहायक आचार्य की भर्ती निकाली गई है। सरकार के एक साल का कार्यकाल पूरे होने के कारण बेरोजगारों को खुश करने के लिए आयोग ने भर्ती तो जारी कर दी, लेकिन भर्ती में योग्यताओं को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

आरपीएससी की ओर से जल्दबाजी में भर्ती जारी कर दी। जारी विज्ञप्ति में आयोग ने कहीं भी स्पष्ट नहीं किया कि कौनसी शैक्षणिक योग्यता वाले अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। विज्ञप्ति के अनुसार ऐसे में अब पीजी अंतिम वर्ष में अध्ययन अभ्यर्थी भी आवेदन के योग्य होंगे। जबकि यूजीसी के नियमानुसार नेट और पीएचडी इसके लिए जरूरी है।

योग्य अभ्यर्थियों की मानें तो भर्ती में अयोग्य अभ्यर्थी भी शामिल होंगे और साक्षात्कार तक तो पहुंच जाएंगे, लेकिन आखिर में योग्यता को लेकर आपत्तियां आएंगी और भर्ती कोर्ट में अटकेगी।

गौरतलब है कि आरपीएससी की ओर से जारी की गई पिछली भर्ती में सभी नियमों को ध्यान रखा गया था। विभिन्न संकाय वार आरक्षण अनुरूप पदों की संख्या विज्ञप्ति में जारी करी गई थी। भर्ती में योग्यता स्पष्ट लिखी जाती रही है जिससे भर्ती कोर्ट में नहीं जा पाए।

 

 

भर्ती प्रक्रिया में चूक: नियमों की अनदेखी से अभ्यर्थी परेशान

सरकार के एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में दबाव के चलते राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने बड़ी संख्या में भर्तियां निकाली हैं। इस प्रक्रिया में जल्दबाजी के कारण कई अहम नियमों को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, अभ्यर्थियों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बेरोजगार युवाओं को अब योग्यता नियमों में संशोधन के लिए आयोग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।

भर्तियों में हुई प्रमुख चूक

  1. शैक्षणिक योग्यता का अस्पष्ट विवरण
    RPSC ने विज्ञप्ति में उल्लेख किया कि पदों के लिए वे उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं जो शैक्षणिक अर्हता के अंतिम वर्ष में हैं या हो चुके हैं। इस नियम के आधार पर UG और PG अंतिम वर्ष के छात्र आवेदन के योग्य हो गए, जबकि नियमानुसार NET और PhD अनिवार्य होना चाहिए।

  2. UGC नियमों की अनदेखी
    UGC के नियमानुसार सहायक आचार्य भर्ती में अभ्यर्थियों का चयन API (Academic Performance Indicator) के माध्यम से किया जाना चाहिए। इसमें PhD, शैक्षिक अनुभव, शोध-पत्र, पुरस्कार आदि के आधार पर मेरिट तैयार की जाती है। लेकिन इस भर्ती प्रक्रिया में UGC रेगुलेशन को दरकिनार कर दिया गया।

  3. आरक्षण का वर्गीकरण नहीं
    भर्ती विज्ञापन में पदों का आरक्षण वर्गीकरण नहीं किया गया। यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किस श्रेणी के लिए कितने पद आरक्षित हैं। इससे अभ्यर्थियों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई।

  4. विषयवार जानकारी का अभाव
    सहायक आचार्य भर्ती में विषयवार पदों की जानकारी नहीं दी गई। यह स्पष्ट नहीं किया गया कि स्नातकोत्तर किस विषय में होना अनिवार्य है। इससे अभ्यर्थियों के लिए सही दिशा में आवेदन करना कठिन हो गया।

UGC के अनुसार योग्यताओं का विवरण

UGC नियमों के अनुसार, सहायक आचार्य पद के लिए स्नातकोत्तर में न्यूनतम 55% अंक और उसी विषय में NET या PhD अनिवार्य है। यह भी आवश्यक है कि अभ्यर्थी उसी विषय में स्नातकोत्तर हों जिसमें भर्ती निकाली गई है।

 

बेरोजगारों में असमंजस और मांगें

सरकार के दबाव में जल्दबाजी में भर्ती निकालने के कारण RPSC ने नियमों की अनदेखी की है। राजस्थान विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री बनय सिंह ने कहा कि सहायक आचार्य पदों की भर्ती प्रक्रिया UGC रेगुलेशन के अनुसार होनी चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि आयोग को बेरोजगारों के हितों का ध्यान रखना चाहिए और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और नियम-संगत बनाना चाहिए।

इस तरह की चूकों से अभ्यर्थियों का भविष्य प्रभावित हो रहा है। आयोग को जल्द से जल्द आवश्यक संशोधन करके भर्ती प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करना चाहिए।