यह सुपरमून रात को करीब 11.55 पर सबसे बड़ा और अधिक चमकीला नजर आएगा.
आज सिर्फ सावन का आखिरी सोमवार या रक्षाबंधन ही नहीं है. बल्कि आज आसमान में अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा. आज का चांद एक सुपरमून है. ब्लू सुपरमून (Blue Supermoon). यानी नीला चांद. आइए जानते हैं इस सुपरमून की खासियत.
आज सिर्फ रक्षाबंधन या सावन का आखिरी सोमवार नहीं है बल्कि आज अंतरिक्ष में अलग नजारा देखने को मिलेगा. आसमान में चांद की रोशनी 30 फीसदी ज्यादा होगी. चंद्रमा खुद 14 फीसदी बड़ा दिखेगा. यानी आज आसमान में सिर्फ मून नहीं निकलेगा. आज निकलेगा सुपरमून. ब्लू सुपरमून (Blue Supermoon). इसे स्टरजियॉन सुपरमून (Sturgeon Supermoon) भी कहते हैं.
यह सुपरमून रात को करीब 11.55 पर सबसे बड़ा और अधिक चमकीला नजर आएगा. असल में ब्लू सुपरमून दो तरह के होते हैं. पहला वो जो मंथली ब्लू मून होता है. यानी हर दूसरे हफ्ते दिखने वाला चंद्रमा. दूसरा सीजनल ब्लू मून यानी एक सीजन में दिखने वाले चार पूर्ण चंद्र में से तीसरा वाला.
गर्मियों का सोल्टिस 20 जून को था. इसलिए पहला पूर्ण चंद्र 22 जून, फिर दूसरा 21 जुलाई और अब तीसरा 19 अगस्त को हो रहा है. यानी ये इस सीजन का तीसरा ब्लू मून है. इसके बाद 18 सितंबर को हार्वेस्ट मून (Harvest Moon) होगा. फिर 22 सितंबर को इक्वीनॉक्स.
कैसे देख सकते हैं इस सुपरमून को?
नासा के मुताबिक सीजनल ब्लू मून हर दो से तीन साल में एक बार आता है. जैसे- अक्तूबर 2020, अगस्त 2021,अब इसके बाद अगला सीजनल ब्लू मून मई 2027 में दिखाई देगा. आप इसे ब़ड़े आराम से अपनी छत या आंगन से देख सकते हैं. अगर आपको चंद्रमा की सतह देखनी है तो दूरबीन का सहारा लेना होगा.
इसका नाम क्यों पड़ा स्टरजियॉन मून?
नेटिव अमेरिकन इलाका ग्रेट लेक्स में इन दिनों स्टरजियॉन मछलियां दिखाई पड़ती है. इसलिए इस समय निकलने वाले पूर्ण चंद्रमा का नाम स्टरजियॉन रखा गया है. कुछ जगहों पर इसे ग्रेन वाइल्ड राइस मून भी बुलाया जाता है.
क्या होता है सुपरमून, पहले इसे समझते हैं?
चांद जब धरती के नजदीक आ जाता है तब उसका आकार 12 से 14 फीसदी बड़ा दिखता है. आमतौर पर चांद की दूरी धरती से 406,300 km रहती है. लेकिन जब यह दूरी कम होकर 356,700 km होती है तब चांद बड़ा दिखाई देता है. इसलिए इसे सुपरमून कहते हैं. चांद इस समय अपनी कक्षा में चक्कर लगाते समय धरती के नजदीक आता है. क्योंकि चांद धरती के चारों तरफ गोलाकार चक्कर नहीं लगाता. यह अंडाकार कक्षा में घूमता है. ऐसे में इसके धरती के नजदीक आना तय होता है. नजदीक आने की वजह से इसकी चमक भी बढ़ जाती है.