अभ्यास को अक्सर “प्रशिक्षण और विकास” के रूप में भी जाना जाता है और अक्सर कार्यबल या व्यावसायिक विकास से जुड़ा होता है।
इसे ऐंड्रागोजी (Andragogy) भी कहा गया है। वयस्क शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा से भिन्न होती है।
ज्यादातर कौशल सुधार के लिए कार्यस्थल-आधारित होती है;
प्रौढ़ शिक्षा एक ऐसा मंच है जो उन लोगों को पढ़ने का मौका देती है जो किसी कारण उचित समय पर पढ़ नहीं पाते। आजादी के बाद दशकों तक महिलाओं की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। लेकिन जैसे-जैसे समाज विकसित हुआऔर लोगों की सोच विकसित हुई, यह महसूस किया जाने लगा कि स्त्रियों का पढ़ना भी उतना ही जरुरी है जितना कि पुरुषों का। बहुत से बेटे-बेटियों ने अपनी अनपढ़ मां-दादी को पढ़ाने का बीड़ा उठाया और शायद इसी तरह प्रौढ़ शिक्षा के आरंभ का रास्ता बना।
प्रौढ़ शिक्षा का अर्थ
वयस्क शिक्षा वयस्कों को पढ़ाने और शिक्षित करने का अभ्यास है। “विस्तार” अध्ययन केंद्र या “सतत शिक्षा के विद्यालय” के माध्यम से वयस्क शिक्षा कार्यस्थल में होती है। अन्य शिक्षण स्थानों में सामुदायिक विद्यालय, लोक उच्च विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय, पुस्तकालय और आजीवन सीखने के केंद्र शामिल हैं।
अभ्यास को अक्सर “प्रशिक्षण और विकास” के रूप में भी जाना जाता है और अक्सर कार्यबल या व्यावसायिक विकास से जुड़ा होता है। इसे ऐंड्रागोजी (Andragogy) भी कहा गया है। वयस्क शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा से भिन्न होती है। ज्यादातर कौशल सुधार के लिए कार्यस्थल-आधारित होती है; और गैर-औपचारिक वयस्क शिक्षा से भी, जिसमें कौशल विकास या व्यक्तिगत विकास के लिए सीखना शामिल है।
उपसंहार
वयस्क शिक्षा परिपक्व छात्रों के लिए शिक्षा है जिसका कार्यबल में पहले से ही हिस्सा है। एक परिपक्व छात्र के रूप में सीखना व्यक्तियों को नए कौशल हासिल करने और अपने ज्ञान का विस्तार करने का मौका देता है। वयस्क शिक्षा कई रूप ले सकती है और कई अलग-अलग विषयों को आच्छादित कर सकती है। साक्षरता और संख्यात्मकता के साथ-साथ, कई वयस्क छात्र भाषा, विज्ञान और अन्य महत्वपूर्ण विषयों की एक श्रृंखला का अध्ययन कर सकते हैं। वयस्क शिक्षा के द्वारा वयस्क छात्र अपने सपनों में रंग भर सकते हैं। और नये कौशलों को सीखकर अपने जीवन को और बेहतर बना सकते हैं।