सावन महीने की पूर्णिमा 11 और 12 अगस्त को: इसके कारण रक्षा बंधन भी दो दिन मनाया जाएगा महीने की अंतिम तिथि होती है पूर्णिमा, पढिये पूरी खबर

 

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पंचांग भेद की वजह से सावन महीने की पूर्णिमा 11 और 12 अगस्त को रहेगी। इस वजह से रक्षा बंधन भी दो दिन मनाया जाएगा। हमें अपने-अपने क्षेत्र के विद्वानों और पंचांगों में बताई गई तारीख पर ये पर्व मनाना चाहिए। इस पूर्णिमा सावन महीना खत्म होगा और इसके बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत हो जाएगी।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक पूर्णिमा महीने की अंतिम तिथि होती है। इस तिथि जो नक्षत्र रहता है, उसी के आधार पर हिन्दी महीनों के नाम तय किए गए हैं। जैसे सावन पूर्णिमा पर श्रवण नक्षत्र रहता है, इस वजह से इस महीने को श्रावण कहते हैं, जिसे बोलचाल की भाषा में सावन कहा जाता है। सावन के बाद वाले महीने की पूर्णिमा पर पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रहता है, जिसकी वजह से इस महीने का नाम भाद्रपद रखा गया है।

पूर्णिमा भी है एक पर्व....

हिन्दी पंचांग में एक वर्ष में 12 पूर्णिमाएं आती हैं। पूर्णिमा तिथि का महत्व भी त्योहारों की तरह ही है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की, तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है। पूर्णिमा पर अपने-अपने क्षेत्र की पवित्र नदियों में स्नान के लिए भक्त पहुंचते हैं। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। तीर्थ क्षेत्र में दान-पुण्य करें। जरूरतमंद लोगों को जीवन उपयोग चीजें भेंट करें। मंदिरों में पूजा करें। ध्यान और मंत्र जप करें।

पूर्णिमा पर चंद्र दिखाई देता है अपनी सभी 16 कलाओं के साथ.....

पूर्णिमा पर चंद्र अपनी सभी 16 कलाओं के साथ दिखाई देता है। इस तिथि पर चंद्र आम दिनों की अपेक्षा अधिक चमकीला और बड़ा दिखता है। शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्रदेव को चांदी के लोटे से दूध अर्पित करना चाहिए। इस दौरान ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करें। चंद्रदेव के लिए दूध का दान करना चाहिए।

गुरुवार और पूर्णिमा का योग 11 अगस्त को....

जो लोग 11 अगस्त को रक्षा बंधन मनाएंगे, उनके लिए गुरुवार और पूर्णिमा का योग रहेगा। इस दिन शिव जी, विष्णु जी, चंद्रदेव के साथ ही गुरु ग्रह की भी विशेष पूजा करें। गुरुवार का कारक ग्रह गुरु ही है। अगर आप शुक्रवार को रक्षा बंधन मना रहे हैं तो इस दिन शुक्र ग्रह के विशेष पूजा कर सकते हैं।

सावन पूर्णिमा पर करें शिव जी का अभिषेक....

इस तिथि पर सावन महीना खत्म हो जाएगा। इस दिन भगवान शिव का जल से और दूध से अभिषेक जरूर करें। भगवान को बिल्व पत्र खासतौर पर चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। आप चाहें किसी ब्राह्मण की मदद से विधिवत अभिषेक कर सकते हैं।