किसान जैविक कपास खेती Organic Cotton Farming को दें बढ़ावा: उत्पादन और आय में होगी बढ़ोतरी

 

जैविक कपास खेती के लाभ 

 Organic Cotton Farming

choptanews केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने और टिकाऊ खेती को प्रोत्साहन देने की दिशा में जैविक खेती पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में, केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, सिरसा में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता संयुक्त निदेशक (कपास) डॉ. राम प्रताप सिहाग ने की। इस दौरान जैविक कपास खेती Organic Cotton Farming के महत्व और उसके लाभों पर चर्चा की गई। कार्यशाला में विभिन्न जिलों के कृषि विभाग के अधिकारी, वैज्ञानिक, बीज कंपनियों के प्रतिनिधि और प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।

कार्यशाला का उद्देश्य और मुख्य बातें

डॉ. राम प्रताप सिहाग ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि जैविक कपास खेती Organic Cotton Farming से न केवल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जैविक खेती, खासतौर पर कपास की, किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने का एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल समाधान प्रदान करती है। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों को जैविक कपास की खेती के लिए प्रेरित करना और उन्हें इसकी उन्नत विधियों की जानकारी देना था।

**जैविक कपास खेती के लाभ ** Organic Cotton Farming

  1. पर्यावरण संरक्षण: जैविक खेती में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण का संतुलन बना रहता है।

  2. कृषि लागत में कमी: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की जगह जैविक खाद और प्राकृतिक कीट नियंत्रण विधियों का उपयोग करने से उत्पादन लागत कम होती है।

  3. बेहतर उत्पाद गुणवत्ता: जैविक कपास का रेशम मुलायम और प्रदूषण रहित होता है, जिससे इसकी बाजार में अधिक मांग रहती है।

  4. बाजार में प्रीमियम मूल्य: जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण जैविक कपास किसानों को सामान्य कपास की तुलना में बेहतर मूल्य प्रदान करता है।

किसानों को बीज तैयार करने की जानकारी

डॉ. सिहाग ने किसानों को यह भी सिखाया कि वे स्वयं जैविक देसी कपास का बीज कैसे तैयार कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जैविक बीज न केवल उत्पादन लागत को कम करता है, बल्कि देसी किस्मों की गुणवत्ता और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है।

अनुभवों और विचारों का आदान-प्रदान

कार्यशाला में पंजाब से आए ‘खेती विरासत मिशन ट्रस्ट’ की निदेशक श्रीमती रूपसी गर्ग और प्रगतिशील किसानों राजा राम व मनवीर ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि जैविक कपास की खेती ने न केवल उनकी आय में वृद्धि की है, बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में भी सहभागी बनाया है।

कपास की फसल से संबंधित तकनीकी जानकारी

डॉ. ऋषि कुमार की जानकारी:

केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ऋषि कुमार ने उत्तरी भारत में पिछले वर्ष कपास की फसल की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने मुख्य कीटों से बचाव के लिए जैविक तरीकों और पिछले वर्ष के उत्पादन के अनुभव साझा किए। साथ ही, फसल के भंडारण और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जरूरी उपायों की जानकारी दी।

डॉ. एस.के. वर्मा का योगदान:

प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस.के. वर्मा ने जैविक कपास की खेती को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जैविक खेती के लिए सही तकनीकों का उपयोग और नियमित निरीक्षण आवश्यक है।

डॉ. एस.के. सैन और डॉ. अमरप्रीत सिंह का योगदान:

इन वैज्ञानिकों ने कपास की फसल में प्राकृतिक खेती के लिए रोग नियंत्रण और फसल उत्पादन विधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों को जैविक विधियों के साथ उत्पादन बढ़ाने के तरीके सिखाए।

एफ.पी.ओ. और किसान क्लब की भूमिका

कार्यशाला में उप कृषि निदेशक डॉ. सुखदेव ने जैविक कपास की खेती को बढ़ावा देने के लिए एफ.पी.ओ. (Farmer Producer Organization) और किसान क्लब जैसे संगठनों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इन संगठनों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा सकता है और जैविक खेती के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

कपास की उन्नत किस्में और उनके लाभ

कार्यशाला में वैज्ञानिक डॉ. सुभाष चंद्रा ने कपास की उन्नत किस्मों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जैविक कपास की नई किस्में न केवल रोग प्रतिरोधक हैं, बल्कि उनका उत्पादन भी अधिक है। इन किस्मों का उपयोग कर किसान अपनी उपज को बेहतर बना सकते हैं।

जैविक खेती के लिए सरकार की पहल

कार्यशाला में यह भी बताया गया कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इनमें किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम, जैविक उत्पादों के लिए सब्सिडी, और बाजार तक पहुंच के लिए सहायता शामिल हैं।

प्रधानमंत्री किसान योजना:

जैविक खेती के लिए किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए भी सरकारी मदद उपलब्ध है।

कार्यशाला का समापन

कार्यशाला के अंत में, डॉ. सुभाष चंद्रा ने सभी उपस्थित वैज्ञानिकों, अधिकारियों और किसानों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि जैविक कपास खेती न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगी, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह कार्यशाला जैविक खेती के महत्व और किसानों की आय में वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई। जैविक कपास की खेती न केवल उत्पादन लागत को कम करती है, बल्कि किसानों को बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद के लिए प्रीमियम मूल्य भी प्रदान करती है। ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देना न केवल किसानों के लिए, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी लाभकारी है।