हरियाणा: BJP अध्यक्ष को चुनाव आयोग का मिला नोटिस, कैंपेन विडिओ से जुड़ा यह मामला।
वीडियो का संज्ञान लेने के बाद राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा यह नोटिस जारी किया गया.
हरियाणा बीजेपी द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो का संज्ञान के बाद राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा यह नोटिस जारी किया गया. गुरुवार शाम 6 बजे तक 'कारण बताओ नोटिस' का जवाब देने को कहा गया है.
चुनाव आयोग (Election Commission) ने बीजेपी की हरियाणा यूनिट को नोटिस जारी किया है. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में एक बच्चे का इस्तेमाल करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को नोटिस जारी कर "तत्काल सुधारात्मक कदम" उठाने को कहा है. चुनाव प्रचार और अन्य चुनाव संबंधी गतिविधियों में बच्चों का इस्तेमाल करना चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष को गुरुवार शाम 6 बजे तक कारण बताओ नोटिस का जवाब देने को कहा गया है.
हरियाणा बीजेपी द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो का संज्ञान लेने के बाद राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा यह नोटिस जारी किया गया.
बीजेपी की पोस्ट में क्या था?
आम आदमी पार्टी की हरियाणा यूनिट ने मंगलवार को बीजेपी की स्टेट यूनिट द्वारा अपलोड किए गए 36 सेकंड के वीडियो को शेयर किया. बीजेपी ने वीडियो के कैप्शन में लिखा- "बच्चे-बच्चे की पुकार, हरियाणा में फिर से नायब सरकार"
हरियाणा में 1 अक्टूबर को चुनाव होने हैं और सत्तारूढ़ बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार में आने की कोशिश कर रही है. वीडियो की शुरुआत एक बच्चे के कथन से होती है. बच्चा कहता है- "हरियाणा में अब की सैनी सरकार, जय हिंद!" वीडियो के बाकी हिस्से में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी रक्षाबंधन सहित तमाम मौकों पर बच्चों से बातचीत करते नजर आ रहे हैं. येप्रोग्राम गैर-राजनीतिक लग रहे थे.
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
एजेंसी के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्य चुनाव अधिकारी ने प्रदेश बीजेपी चीफ को 29 अगस्त शाम 6 बजे तक जवाब देने को कहा है. संपर्क किए जाने पर हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पंकज अग्रवाल ने बताया, 'प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मोहन लाल बडोली को 29 अगस्त तक जवाब देनेजवाब देने को कहा गया है.'
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, राजनीतिक दलों और चुनाव अधिकारियों द्वारा चुनाव प्रक्रिया में किसी भी बच्चे को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। नेताओं और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से चुनाव प्रचार या रैलियों के लिए बच्चों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जिसमें बच्चों को गोद में उठाना, बच्चों को गोद में उठाना, बच्चों को अपने वाहन में ले जाना या बच्चों को चुनाव प्रचार या रैलियों का हिस्सा बनाना शामिल है.
इसके अलावा, मौखिक शब्दों या कविताओं गीतों के जरिए राजनीतिक अभियान की झलक पैदा करने, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रतीक चिन्हों का प्रदर्शन करने, राजनीतिक दल की विचारधारा का प्रदर्शन , राजनीतिक दल की विचारधारा का प्रदर्शन करने, राजनीतिक दल की उपलब्धियों को बढ़ावा देने या विरोधी राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों की आलोचना करने के लिए बच्चों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
फरवरी में, चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से कहा था कि वे राजनीतिक अभियानों और रैलियों में "किसी भी तरह से" बच्चों का इस्तेमाल नही करें.
चुनाव आयोग ने कहा था, "राजनीतिक दलों को साफ तौर से निर्देश दिया जाता है कि वे रैलियों, नारे लगाने, पोस्टर या पर्चे बांटने या चुनाव से जुड़ी किसी भी अन्य गतिविधि सहित चुनाव अभियान के किसी भी रूप में बच्चों को शामिल न करें.