श्री हरिराम गौशाला, बुर्जभंगु सिरसा में दिव्य आयोजन संपन्न।
गौ हवन से पर्यावरण संरक्षणए मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति संभव होती है।
सिरसा। श्री धेनू मानस कथा के पावन समापन अवसर पर श्री हरिराम गौशाला बुर्जभंगु, सिरसा में भव्य गौ हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। इस दिव्य यज्ञ में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और गौ माता की महिमा का वंदन करते हुए विश्व कल्याण के लिए आहुति अर्पित की।
परम पूज्य गौ ऋषि स्वामी राजेन्द्रानंद महाराज के सान्निध्य में संपन्न इस महायज्ञ में आध्यात्मिक, पर्यावरणीय और समाज कल्याण से जुड़े गूढ़ रहस्यों पर प्रकाश डाला गया। स्वामी राजेन्द्रानंद महाराज ने अपने प्रवचनों में बताया कि गौ हवन यज्ञ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि के संतुलन का आधार है। उन्होंने कहा कि गौ माता के पंचगव्य से यज्ञ करने पर वातावरण शुद्ध होता है,
रोगनाशक ऊर्जा का संचार होता है और संपूर्ण पृथ्वी पर सात्विकता का प्रभाव बढ़ता है। गौ हवन से पर्यावरण संरक्षणए मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति संभव होती है।
हवन में गौघृत, गौमूत्र, गोबर और विभिन्न औषधीय वनस्पतियों से आहुति दी गई, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ।
गौ रक्षा का संकल्प और आध्यात्मिक संदेश:
हवन यज्ञ के दौरान स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को गौ रक्षा का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि गौ माता की सेवा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह मानवता, कृषि और पर्यावरण के संरक्षण का दिव्य मार्ग है।
जो समाज गौ माता की रक्षा करता है, वहां सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। स्वामी जी ने सभी भक्तों से अनुरोध किया कि गौशालाओं का संरक्षण करें और गौ सेवा में अपना योगदान दें। गौ आधारित जैविक कृषि और पंचगव्य चिकित्सा को अपनाएं। गौ माता की रक्षा को अपने जीवन का परम लक्ष्य बनाएं।
विशाल भंडारा: प्रेम और भक्ति का प्रसाद:
हवन यज्ञ के उपरांत श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों भक्तों ने प्रेमपूर्वक प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। भक्तों ने गौ माता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए गौ सेवा के महत्व को आत्मसात किया।
इस दिव्य आयोजन का सीधा प्रसारण श्री हरि टीवी के माध्यम से किया गया, जिससे दूर-दूर तक भक्तगण ने इस दिव्य अनुष्ठान का पुण्य लाभ प्राप्त किया। गौ माता के संरक्षण हेतु अंतिम आह्वानश्री धेनू मानस कथा और गौ हवन यज्ञ का यह पावन आयोजन संपन्न हो गया, लेकिन गौ माता की महिमा और सेवा का संदेश अमर रहेगा।
स्वामी जी ने सभी भक्तों से आग्रह किया कि वे गौ सेवा को अपने जीवन का ध्येय बनाएं और सनातन संस्कृति की इस अमूल्य धरोहर की रक्षा करें। गौ माता केवल अतीत की धरोहर नहीं बल्कि भविष्य की कुंजी भी हैं। गौ रक्षा ही संस्कृति की रक्षा है।