हरियाणा में प्रमुख पार्टियों में किसका पलड़ा भारी, पढिए एक रिपोर्ट

 

हरियाणा मे विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। ऐसे मे अब सभी पार्टियां अपना जोड़ तोड़ लगाने मे जुट गई है। एक अक्टूबर को होने वाले  विधानसभा चुनाव मे राज्य के मुख्य दलों की प्रमुख ताकत, कमजोरियों, अवसरों और चुनौतियों पर नजर डालते हैं।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) भाजपा ने कुछ महीने पहले ही हरियाणा में बड़े बदलाव किए। पार्टी ने जहां मुख्यमंत्री पद पर बदलाव किया वहीं, गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) से भी नाता तोड़ लिया। हालांकि सवाल यह है कि यह कवायद क्या राज्य में पार्टी को लगातार तीसरा कार्यकाल दिला पाएगी?

भारतीय जनता पार्टी (BJP)

प्लस पॉइंट - हरियाणा में 10 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी के पास बूथ स्तर तक मजबूत संगठनात्मक ढांचा है। पार्टी ने इन चुनावों की तैयारी काफी पहले से शुरू कर दी थी।

कमजोरी - दो बार से सरकार चला रही बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है।

अवसर- पार्टी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनके पूर्ववर्ती मनोहर लाल खट्टर (जो अब केंद्रीय मंत्री हैं) की स्वच्छ छवि का लाभ उठाने की कोशिश करेगी और साथ ही अपनी सरकार द्वारा प्रदान किए गए पारदर्शी प्रशासन को भी रेखांकित करेगी।

चुनौतियां- उसे फिर से उभरती कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है, जिसने हाल के लोकसभा चुनावों में 10 में से पांच सीटें जीती हैं।

कांग्रेस

प्लस पॉइंट  - ताकत-दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला व्यक्तिगत रूप से मतदाताओं के व्यापक वर्ग को प्रभावित करते हैं।

कमजोरियां- हुड्डा और सैलजा के नेतृत्व में अलग-अलग धड़े होना। प्रतिद्वंद्वी पक्ष अब भी कांग्रेस के राज्य में सत्ता में रहने के समय के कथित घोटालों को उठा रहे हैं।

अवसर- कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को भुना सकती है।

चुनौतियां- इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) और जजपा जैसी पार्टियों के बीच जाट मतों का बंटवारा उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।

जननायक जनता पार्टी(JJP)

प्लस पॉइंट - साढ़े चार साल तक सरकार का हिस्सा रही जजपा राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्रभाव रखती है और देवीलाल की विरासत पर दावा करती है।

कमजोरी- बीजेपी से नाता टूटने के बाद जजपा के लिए आगे के हालात कठिन होंगे।

अवसर- जजपा नेता दुष्यंत चौटाला जाट समुदाय का एक प्रमुख चेहरा हैं, जो युवा मतदाताओं को लुभाने में सक्षम हैं।

चुनौतियां- पार्टी के कुछ नेता पाला बदलकर कांग्रेस या भाजपा में जा सकते हैं।

इंडियन नेशनल लोकदल(INLD)

प्लस पॉइंट पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनेलो का ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत वोट आधार है और हाल ही में बसपा के साथ गठबंधन के बाद इसमें और मजबूती आई है।

कमजोरी- अतीत में इसे कई चुनावी पराजय का सामना करना पड़ा है। हाल के दिनों में पार्टी के शीर्ष नेता कांग्रेस या भाजपा में शामिल हो गए हैं।

अवसर- इनेलो उन लोगों को लुभाने का काम करेगी जो भाजपा और कांग्रेस का विकल्प तलाश रहे हैं।

आम आदमी पार्टी (AAP)

प्लस पॉइंट - वह दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकारों द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर है।

कमजोरियां- हरियाणा में पहले भी प्रयास किया है, लेकिन चुनावी सफलता नहीं मिली।

अवसर- पार्टी खुद को बीजेपी और कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश कर रही है।

चुनौतियां- हरियाणा में बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ना एक कठिन काम होगा।