अंग तस्करी पर निबंध (Organ Trafficking Essay in Hindi)

मानव अंगों, ऊतकों और शरीर के अन्य अंगों की तस्करी प्रत्यारोपण के लिए अवैध व्यवसाय के तौर पर और उससे लाभ के लिए किया जाता हैं . 
 

1.उच्च मांग और कम आपूर्ति

2.निर्धनता

3.शिक्षा की कमी

4.युद्ध

5.विकासशील क्षेत्र

6.चिकित्सीय संस्थाए

7.कानूनी कार्यवाहियों में कमियां

8.मानव तस्करी

अंग तस्करी के प्रभाव

मानव अंगों, ऊतकों और शरीर के अन्य अंगों की तस्करी प्रत्यारोपण के लिए अवैध व्यवसाय के तौर पर और उससे लाभ के लिए किया जाता हैं . 

1.उच्च मांग और कम आपूर्ति

इन दिनों स्वास्थ्य विकारो में वृद्धि होने के कारण अंगों की बढ़ती मांग और अधिक बढ़ती जा रही है। लोग जीवित रहते या मृत्यु के बाद भी अपने अंगों का दान करने के लिए स्वैच्छिक रुप से तैयार नहीं होते हैं। जिसके कारण अंगों की आपूर्ति में कमी होती जा रही है। यही कारण है जब मांग और आपूर्ति पूरी नहीं होती है तो लोग अंग तस्करी जैसे अपराधों का सहारा लेते है।

2.निर्धनता

निर्धनता, अधिकांश आपराधिक गतिविधियों का मुख्य कारण है। जब लोगों को आर्थिक कमी होती है और उनके पास बेचने के लिए कुछ भी नहीं होता है तो वे अपने कर्ज या मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए अपने शरीर के अंगों को बोली लगाते है, फिर भले ही उन्हें उसके लिए वास्तविक राशि से कम भुगतान क्यों ना दिया जा रहा हो।

3.शिक्षा की कमी

शिक्षा की कमी होने के कारण लोग अंग तस्करी के दीर्घकालिक स्तर पर होने वाले स्वास्थ्य खतरो से अवगत नहीं है तथा कमजोर पीड़ित वर्ग सरकार के साधन और सहायता तथा सौदे के अवैध तरीको से अनजान कम राशि में ही अपने अंगों की तस्करी करने के लिए तैयार हो जाता है या फिर उन्हें असहाय कर अंगों को दान में देने के लिए मजबूर कर दिया जाता है।

4.युद्ध

युद्ध बड़े पैमाने पर लोगो और बच्चों के विस्थापन का कारण बन सकता है। युद्ध से पीड़ित लोग  अंगों के तस्करी के लिए आसान लक्ष्य माने जाते हैं और बड़ी संख्या में लोग और बच्चे ऐसी परिस्थितियों में अंग-तस्करी करने के लिए विवश होते है।

5.विकासशील क्षेत्र

विकासशील क्षेत्रों में लोग अंग तस्करी के मुख्य श्रोत माने जाते हैं। तस्कर मुख्य रूप से हमारे समाज के सबसे कमजोर लोगों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि इन लोगों को मनाना और तस्करी के लिए  कम पैसों में राजी कराना आसान हो जाता है।

6.चिकित्सीय संस्थाए

चिकित्सीय सहायता के बिना अंग प्रत्यारोपित करना संभव नहीं है और ना ही इसके पूर्व ज्ञान के बिना कोई प्रत्यारोपण हो सकता है। अंग प्रत्यारोपण जैसे आपराधिक गतिविधियां फर्मों में डाटा ट्रैक के बिना अवैध तरीको से किये जाते हैं। उचित चिकित्सा देखभाल पोस्ट सर्जरी की कमी के कारण शोषित पीड़ितों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

7.कानूनी कार्यवाहियों में कमियां

कानून अभी भी अवैध गतिविधियों तथा अंगों की तस्करी करने वाले तस्करो को रोकने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया हैं। इसके अलावा अंग प्रत्यारोपण के अपराध में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कारवाई करने के लिए कानून को पर्याप्त रूप से लागू नहीं किया गया है, जिससे यह पूर्ण रुप से कारगर नही सिद्ध होता है।

8.मानव तस्करी

मानव तस्करी पीड़ितों का कई तरीकों से शोषण किया जाता है। नतीजतन, अधिक लालच के काऱम तस्कर हमेशा पीड़ितों के अंगों को उनके व्यक्तिगत लाभों के लिए बेचने के लिए तैयार रहते हैं और कभी-कभी तो मानव तस्करी का एकमात्र उद्देश्य पीड़ितों के अंगों को बेच कर उसका लाभ लेना होता है।

अंग तस्करी के प्रभाव

हमारे समाज में अंग तस्करी के कई नकारात्मक प्रभाव हैं। अंग तस्करी के लिए समाज के सबसे कमजोर और गरीब वर्ग के लोगों का शोषण किया जाता है। जिसके कारण समाज में अंगों की तस्करी के उद्देश्य के लिए बच्चों के अपहरण और मानव तस्करी जैसे गँभीर आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता हैं। कुछ मामलों में तो पीड़ितों को अनेक स्वास्थ्य समस्यओं का सामना करना पड़ता है तो कुछ में उनकी हत्या तक कर दी जाती है। अंगों की तस्करी में प्राप्तकर्ता और दाता दोनों को कई प्रकार के स्वास्थ्य जोखिम उठाने पड़ते हैं। स्वस्थ अंगों की उच्च मांग ने भी गंभीर अपराधों को जन्म देती है तथा ऐसे अपराधों में शामिल चिकित्सीय संस्थाए लोगों के लिए खतरे का कारण हैं।

निष्कर्ष

नियम कानून के उचित कार्यान्वयन के द्वारा ही अपराधो के मूल कारणों को समाप्त किया जा सकता हैं। ऐसे ही कुछ अन्य उदाहरण है जिनके माध्यम से इन अपराधों को रोका जा सकता है। जैसे कि मृत दाताओं से अंगो की आपूर्ति के लक्ष्य को पूरा किया जाना चाहिए तथा इसके विषय में अधिक से अधिक जागरूकता फैलानी चाहिए और लोगों के मृत्यु के बाद अंग दान करने के लिए पंजीकरण कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जैसे यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के बाद कोई अपनी आंख को दान करना चाहता है तो इसके लिए वो व्यक्ति पंजीकरण करा ले। जिससे बाद में उसके मृत्यु के पश्चात अंगो को वैध रुप से किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान दिया जा सके।