"शेख हसीना भारत में, खालिदा जिया लंदन में: क्या मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अपना रास्ता साफ कर लिया?"
 

 

ChoptaPuls News : बांग्लादेश के राजनीतिक हलकों में चर्चा हो रही है कि तीन बार प्रधानमंत्री रह चुकीं खालिदा जिया पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए लंदन से कब लौटेंगी? यह सवाल उठ रहा है कि क्या बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति उन्हें लौटने की इजाजत देगी। यह चर्चा ऐसे वक्त पर हो रही है जब बांग्लादेश की दूसरी प्रमुख नेता शेख हसीना अगस्त 2024 से बांग्लादेश से बाहर हैं, और देश का राजनीतिक नेतृत्व एक बड़े शून्य से गुजर रहा है।

लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर खालिदा जिया और उनके बेटे तारिक रहमान की भावुक मुलाकात हुई, जिनसे खालिदा लगभग सात साल बाद मिलीं। यह मुलाकात मीडिया में चर्चा का विषय नहीं बनी थी, हालांकि यह बांग्लादेश की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती है।

खालिदा जिया मंगलवार को कतर के अमीर द्वारा उपलब्ध कराए गए विशेष एयर एम्बुलेंस में सवार होकर ढाका से लंदन के लिए रवाना हुईं। यह 16 जुलाई 2017 के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा थी। बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) ने बताया कि खालिदा जिया इलाज के लिए लंदन गईं हैं, जैसा कि वे 2017 में भी इलाज के लिए लंदन आई थीं।

बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान लंदन में रहकर पार्टी की गतिविधियों को चला रहे हैं, और इसके बाद बांग्लादेश से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बाहर हो गया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या खालिदा जिया बांग्लादेश लौटकर पार्टी का नेतृत्व करेंगी, और क्या वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां उन्हें इसकी अनुमति देंगी?

बीएनपी के महासचिव मिर्ज़ा फखरुल इस्लाम आलमगीर के अनुसार, शेख हसीना की सरकार में खालिदा जिया गंभीर रूप से बीमार थीं और उन्हें इलाज की जरूरत थी, लेकिन बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। बीएनपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता डॉ मुशर्रफ हुसैन ने भी उम्मीद जताई कि खालिदा जिया स्वस्थ होकर देश का नेतृत्व करने के लिए लौटेंगी।

इस बीच, शेख हसीना की चर्चा भी जरूरी है, जो अगस्त 2024 से भारत में रह रही हैं। बांग्लादेश सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, लेकिन भारत ने शेख हसीना के वीजा की वैधता बढ़ाकर बांग्लादेश को यह संदेश दिया है कि फिलहाल भारत ऐसी कोई मंशा नहीं रखता है।

बांग्लादेश की राजनीति में इस समय दोनों प्रमुख नेताओं—खालिदा जिया और शेख हसीना—की अनुपस्थिति से एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है। कई राजनीतिक दल चुनाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन बांग्लादेश का चुनाव आयोग अभी तक मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में लगा हुआ है।


 

इतिहास से यह भी साबित होता है कि बांग्लादेश से बाहर जाने के बाद नेताओं की वापसी हमेशा मुश्किल रही है। उदाहरण के तौर पर, 2007 में सेना समर्थित सरकार ने शेख हसीना को बांग्लादेश लौटने से रोक दिया था और उन्हें शर्तों के साथ वापस आने की अनुमति दी थी। इस संदर्भ में, बीएनपी के सदस्य सैयद हुसैन अलाल ने कहा कि बांग्लादेश के लोग शायद निराश हो सकते हैं, क्योंकि अतीत के अनुभव बहुत खराब रहे हैं।

मोहम्मद यूनुस ने फिलहाल देश की सेना को भी अपने पक्ष में कर लिया है, जिससे उनका विरोध आसान नहीं है। बांग्लादेश की राजनीति में बदलाव की इस नई परिस्थिति पर चर्चा जारी है, और यह देखना होगा कि खालिदा जिया की वापसी और चुनाव की प्रक्रिया में क्या नया मोड़ आता है।