29 जून से  अमरनाथ यात्रा  शुरू, जानें  कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी. 

जम्मू-कश्मीर स्थित बाबा अमरनाथ यात्रा शनिवार, 29 जून से शुरू होने जा रही है.
 

अमरनाथ धाम क्यों है खास?

कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी?


अमरनाथ यात्रा 29 जून 2024 से शुरू होने जा रही है. अमरनाथ यात्रा करीब 2 महीने तक चलेगी. आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होने वाली बाबा अमरनाथ की यात्रा श्रावण पूर्णिमा तक चलती है. इस दौरान लाखों शिवभक्त बाबा के  के दरबार में पहुंचते हैं और बाबा के चमत्कार के साक्षी बनते हैं. 


जम्मू-कश्मीर स्थित बाबा अमरनाथ यात्रा शनिवार, 29 जून से शुरू होने जा रही है. इसके लिए तत्काल पंजीकरण सुविधा 26 जून से शुरू हो चुकी है. आषाढ़ पूर्णिमा  से शुरू होने वाली बाबा अमरनाथ की यात्रा श्रावण पूर्णिमा तक चलती है. इस दौरान लाखों शिवभक्त बाबा के दरबार में पहुंचते हैं और बाबा के चमत्कार के साक्षी बनते हैं. शिव भक्तों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस समेत पासपोर्ट साइज फोटो की जरूरत होगी. 


अमरनाथ धाम क्यों है खास?


अमरनाथ धाम भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है. अमरनाथ में महादेव के दुर्लभ और प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन होते हैं. अमरनाथ की पवित्र गुफा में भोले भंडारी बर्फ के शिवलिंग रूप में कब से विराज रहे हैं और भक्त उनके दर्शनों के लिए कब से वहां पहुंच रहे हैं, इसका कोई लिखित इतिहास नहीं है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि किसी वजह से यह गुफा स्मृतियों से लुप्त हो गई थी और करीब डेढ़ सौ साल पहले इसे फिर से खोजा गया.

इस यात्रा का  हर पड़ाव तीर्थ के महत्व की कहानी खुद बयां करता है. हर साल प्राकृतिक तौर पर बनने वाले शिवलिंग के दर्शन के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु कश्मीर पहुंचतेहैं. श्रद्धालुओं के लिए श्राइन बोर्ड की ओर से कई तरह की तैयारियां की जाती हैं. श्रद्धालुओं की सेवा करने वाले सेवादार भी जगह-जगह लंगर का आयोजन करते हैं.  बर्फ हटाने से लेकर अलग-अलग पड़ाव पर श्रद्धालुओं के लिए रहने का इंतजाम किया जाता है. फिर भी चुनौतियां खत्म नहीं होती हैं. 


कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी?


अमरनाथ गुफा में बर्फ की एक छोटी शिवलिंग सी आकृति प्रकट होती है, जो लगातार 15 दिन तक रोजाना थोड़ी-थोड़ी बढ़ती है. 15 दिन   में बर्फ के इस शिवलिंग की ऊंचाई 2 गज से ज्यादा हो जाती है. चंद्रमा के घटने के साथ ही शिवलिंग का आकार भी घटने लगता है और चांद के लुप्त होते ही शिवलिंग  भी अंतर्ध्यान हो जाता है.

ऐसी मान्यताएं हैं कि 15वीं शताब्दी में एक मुसलमान गड़रिये ने इस गुफा की खोज की थी. उस गड़रिए का नाम बूटा मलिक था.  पवित्र अमरनाथ की गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं. एक रास्ता पहलगाम की तरफ से जाता है और दूसरा सोनमर्ग होते हुए बालटाल की ओर से जाता है.