श्री स्वयं प्रकाश की कहानियों एवं उपन्यासों में मध्यवर्ग के जीवन के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला गया हैं ।
1. जीवन -परिचय - श्री स्वयं प्रकाश जी हिंदी के प्रमुख कहानीकार हैं । उन्हें कहानी लेखन में अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त हुई है । उनका जन्म सन् 1947 में इंदौर में हुआ । उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की।
उनका बचपन राजस्थान में बीता था और नोकरी भी राजस्थान में औद्योगिक प्रतिष्टन में ही मिली । उनके जीवन का अधिकांश समय राजस्थान ही बीता था । अब वे स्वेच्छिक सेवानिवर्त के बाद भोपाल में स्थाई रूप से रह रहे हैं ।
आजकल वे [ वसुधा ] नामक पत्रिका से जुड़े हुए हैं ।
2. प्रमुख रचनायें - कहा जा चुका है की स्वयं प्रकाश का नाम कहानी के क्षेत्र में बड़े आदर से लिया जाता हैं । उनके तेरह कहानी -संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । उनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं -
सूरज कब निकलेगा ,आएंगें अच्छे दिन ,आदमी जात का आदमी तथा संधान ।
उपन्यास - बीच में विनय तथा ईधन ।
प्रमुख पुरस्कार - उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें पहल समान ,बनमाली पुरस्कार ,राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है ।
3. साहित्यिक विशेषताएं - श्री स्वयं प्रकाश की कहानियों एवं उपन्यासों में मध्यवर्ग के जीवन के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला गया हैं । इसलिए उन्हें मध्यवर्ग जीवन शैली के महान चितेरे कहते हैं । उनकी कहानियों में कस्बों की जीवन शैली का बोध बड़ी कुशलता से अभिव्यक्त हुआ है । वे देशभक्ति की नारेबाजी के विरुद्ध हैं । वे मनुष्य के आचरण में ही देशभक्ति देखना चाहते है। उनकी दृष्टि में सब मनुष्य समान हैं। वे सामाजिक विकास के मार्ग में आने वाली हर बुराई रुढ़ि व अंधविश्वास को जड़ से उखाड़कर फेंक देना चाहते हैं ।
4. भाषा -शैली - उनकी कहानियों की भाषा सरल ,सहज ,एवं पत्रानुकूल हैं । उन्होनें लोक -प्रचलित तत्सम शब्दों का प्रयोग भी किया हैं । उन्होनें विषय को गहराई से समझने का प्रयास किया है । उन्होनें वर्णात्मक एवं संवादात्मक शैलियों का सफ़ल प्रयोग किया हैं । उनकी कहानियाँ हिंदी की वाचक परंपरा को समृद्ध करती हैं ।