दूरदर्शन और युवा पीढ़ी के लाभ और हानि पर निबंध ।
यह मनोरंजन सबसे सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने वाला साधन है।
आज की भाग –दौड़ में मनुष्य दिन –भर काम करके शारीरिक और मानसिक रूप से थकावट महसूस करता हैं । इस थकावट को दूर करने के लिए वह कुछ नवीनता और कौतुलता चाहता हैं । शरीर की थकावट को आराम करके दूर किया जा सकता हैं ,परंतु मानसिक रूप से स्फूर्ति और आनंद प्रदान करने के लिए मनोरंजन की आवश्यकता होती हैं ।
समय की कमी के कारण मनुष्य को ऐसे मनोरंजन के साधन की जरूरत होती है, जो घर बैठे ही उसका मनोरंजन कर सकें । विज्ञान ने टेलीविजन का आविष्कार करके एक ऐसा जादू उपलब्ध करवा दिया है जो मनुष्य के इस उद्देश्य की पूर्ति करता है।
टेलीविजन का हिंदी पर्याय दूरदर्शन है। टेली का अर्थ है-'दूर तथा विज़न का अर्थ है –दर्शन अथार्थ दूर के दृश्यों का आँखों के सामने उपस्थित होना। यह रेडियो तकनीक का ही विकसित रूप है, जिसका आविष्कार श्री जे ० एलo बेयर्ड ने 1926 में किया था । टेलीविजन मनोरंजन का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण साधन है। इसने समाज के प्रत्येक वर्ग –बच्चे ,बूढ़े ,स्त्री ,पुरुष आदि सबको को प्रभावित किया है। हर परिवार का यह एक आवश्यक अंग बन गया है। यह मनोरंजन सबसे सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने वाला साधन है।
पूरे विश्व के समाचार, नई जानकारियों आदि घर बैठे प्राप्त की जा सकती हैं। दूरदर्शन ने आज की युवा पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित किया है।
दूरदर्शन आज की युवा पीढ़ी के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण तथा अति आवश्यक अंग हैं। यदि युवक इसका नियत्रण संयमित प्रयोग करते हैं तो टेलीविजन उनके लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा, अन्यथा उसके दुष्परिणामों से युवकों को बचाया नहीं जा सकता। जिस प्रकार एक कुएँ से पानी प्राप्त कर मनुष्य अपनी प्यास बुझा सकता हैं ,परंतु उसमें कूदकर वह आत्महत्या कर लें, तो कुएँ का क्या दोष? इसी प्रकार दूरदर्शन युवा पीढ़ी को आधुनिकतं शिक्षा देने का साधन है, परंतु यदि आज का युवा छात्र अपना अमूल्य समय बेकार के कार्यक्रम देखकर गंवा देगा ,तो हम दूरदर्शन को दोष नहीं दे सकते।
दूरदर्शन शिक्षा का सशक्त माध्यम है। इस पर न केवल औपचारिक शिक्षा दी जाती हैं ,बल्कि अनोपचौरिक शिक्षा का प्रसारण भी होता है। केवल ध्वनि तथा शब्दों का सहारा लेकर पाठ्यक्रम नीरस हो जाता हैं। दूरदर्शन पर विद्यार्थियों के लिए नियमित पाठों का प्रसारण किया जाता है। दूरदर्शन पर जीती-जागती तस्वीर देखकर विद्यार्थियों को अपने पाठ्यक्रम के प्रति रुचि बढ़ जाती हैं तथा भली -भांति समझ आ जाती है। इसमें अनपढ़ों के लिए साक्षरता के कार्यक्रम भी पेश किए जाते हैं। दूरदर्शन पर राष्टीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् द्वारा बच्चों, युवाओं और प्रौढ़ों के लिए पाठों का प्रशारण किया जाता हैं।
शैक्षिक सामग्री के अतिरिक्त इससे युवा किसानों को कृषि के आधुनिक यंत्रों, कीटनाशकों तथा अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं, जिनसे प्रेरित होकर आज की युवा पीढ़ी अपनी बुरी आदतों से छुटकारा प सकती हैं । इस प्रकार दूरदर्शन ने हमारी युवा पीढ़ी के जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया हैं।
यदि व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो दूरदर्शन आज के छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है। अधिकतर छात्र ऐसे कार्यक्रमों में रुचि लेते हैं जिनका संबंध शिक्षा से न होकर मनोरंजन से अधिक हो ,जो रोचक व राशिले हों जैसे-फिल्में, गाने, सीरियल, खेल तथा पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित कार्यक्रम । ऐसे कार्यक्रम में हिंसा को बढ़ा -चढाकर दिखाया जाता है, अश्लील दृश्य दिखाए जाते हैं, छल, फरेब, झूठ, चोरी, बेईमानी के नए ढंग बताए जाते हैं। इन सबका प्रभाव हमारे युवा -वर्ग पर पड़ रहा है।
समाज में चोरी, डकैती, हिंसा तथा भ्रष्टाचार इसी का परिणाम हैं। केबल पर प्रसारित कार्यक्रमों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए अश्लीलता तथा हिंसा को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों को देखकर आज की युवा की युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही हैं । इस पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है।
ऊपर दिए गए तर्क दूरदर्शन के विरोध में नहीं हैं, बल्कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों पर हैं ,जो छात्रों को विग्भ्रमित कर रहे हैं। दरदर्शन को नकारने से तो उससे प्राप्त सभी लाभ समाप्त हो जाएंगे । आवश्यकता तो इस की है की हमारी युवा पीढ़ी संयम में रहकर ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों को देखे । दूरदर्शन तो ऐसा साधन हैं ,जिसका उचित उपयोग करके हम अपना जीवन ,समाज तथा देश का भविष्य सुखद ,आनंदयक तथा उज्वल बना सकते सकते हैं ।