चेचक रोग के कारण , लक्षण व चेचक से बचने के उपाय ।
चेचक एक भयानक संक्रामक रोग है। इसे हमारे देश में अनेक नाम से पुकारा जाता है। शीतला तथा बड़ी माता इसके प्रसिद्ध नाम हैं । प्राचीन समय में यह घातक रोग हमारे देश में बहुत प्रचलित रहा। विशेष रूप से यह गावों में यह तेजी से फैलता है। परंतु आजकल टीके के आविष्कार के कारण इस रोग पर नियंत्रण पा लिया हैं ।
इस रोग में कई बार त्वचा पर छोटे-छोटे गड्डे के निशान पड़ जाते हैं, तथा कभी -कभी आँखें खराब हो जाती हैं ।
कारण (Cause) -चेचक का एक मुख्य कारण Virus है, जो मल उत्सर्जन, सांस तथा रोगी के शरीर से उतरने वाली पपड़ी से फैलता है।
उद्भवन काल (लक्षणों का काल )- इस रोग के लक्षणों का काल दस से बारह तक का होता हैं , इसके बाद यह प्रकट हो जाता है।
लक्षण (Symptoms) - इस संक्रामक रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं। :
1. इस रोग के ल में कंपकंपी, सिर, कमर और पीठ में तेज दर्द होता हैं ।
2. तेज बुखार हो जाता है तथा चेहरा भी लाल हो जाता है।
3. उल्टी आने लगती है।
4. तीसरे दिन तेज बुखार के साथ-साथ शरीर पर लाल रंग के दानें निकल आतें हैं ।
5. चौथे-पांचवें दिन ये दाने सफेद रंग के द्रव पदार्थ से भर जाते हैं और उनके मुहँ पर एक गद्दा सा बन जाता हैं ।
6. आठ-नौ दिन बाद इन दानों में पस पड़ जाती है और बुखार भी तेज हो हो जाती हैं।
7. दस ग्यारह दिनों बाद बुखार कम होने लगता है तथा ये दाने सखने लगते हैं ।
8 इसके बाद सूखे दानों के खुरंड झड़ने लगते हैं और शरीर पर इन दानों के निशान रह जातें हैं ।
उपचार (Treatment) : चेचक नामक संक्रामक रोग का उपचार निम्न प्रकार से किया जा सकता हैं -
1. रोगी को जितना हो सके आराम करने देना चाहिए।
2. यह विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि रोगी को कब्ज न हो। इसके लिए रोगी को दूध में बड़ा मुनुक्का
देनी चाहिए।
3. रोगी का पेट साफ रखने के लिए खूब पानी पिलाना चाहिए।
4. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रोगी अपने दानों को छेड़े व नोंचे नहीं ।
5 . रोगी के पानी में केलोमिन डालकर स्पंज करना चाहिए। ऐसा करने से यदि रोगी को खुजली कम होती हैं ।
6. यदि रोगी को कमर दर्द की अधिक शिकायत करता है तो ऐसी स्थिति में उसकी कमर को सेंक देना चाहिए
7. यदि रोगी को अधिक बुखार हो जाता है तो माथे पर ठंडे पानी की पट्टी के देनी चाहिए ।
8. खुरंड सरलता से निकल जाएं इसके लिए दानों के खुरंडों पर जैतून का गुनगुना तेल लगाना चाहिए ।
बचने के उपाय (Preventive Measures): चेचक नामक रोग निम्नलिखित उपाय करने चाहिए :
1. इस रोग से पीड़ित रोगी को जब तक वह ठीक न हो जाए, अलग कमरे में रखना चाहिए ।
2. रोगी द्वारा इस्तेमाल किए गए बिस्तर, कपड़े आदि को पूर्णतः विसंक्रमण कर देना चाहिए ।
3. रोगी के मलमूत्र व बलगम को जला देना चाहिए या गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए ।
4. रोगी के दानों से उतरे खुरंडों को भी इकट्ठा कर जला देना चाहिए।
5. रोगी को खांसते तथा छींकते समय रूमाल का प्रयोग करना चाहिए।
6. जब घर में एक बच्चे को यह संक्रामक रोग हो जाने पर घर के अन्य सभी बच्चों को भी इस रोग के टीके लगवा देने चाहिय ।
देना चाहिए।
7. डेढ़-दो महीने तक रोगी बालक को स्कूल नहीं भेजना चाहिए।
8. स्वास्थय अधिकारी को भी इसकी सूचना देनी चाहिए ।