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Health news . ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद प्रोटीन से कैंसर के इलाज में नई उम्मीद.

वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार, 2022 में 6,10,000 नए मामले सामने आए और 2,20,000 से अधिक लोगों की मौत हुई
 
brest milk
विश्वविद्यालय की प्रोफेसर Catharina Svanborg और उनकी टीम ने इस दवा को विकसित किया है।

   

कैंसर, जो अब तक एक भयावह बीमारी मानी जाती थी, उसके इलाज के नए और प्रभावी तरीके खोजे जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक नए क्लीनिकल ट्रायल में पाया कि ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद एक खास प्रोटीन ब्लैडर कैंसर के उपचार में कारगर साबित हो सकता है। यह खोज न केवल ब्लैडर कैंसर बल्कि अन्य प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए भी आशा की नई किरण लेकर आई है।

Alpha1H: एक नया प्रभावी ड्रग

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने इंसानों के ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाने वाले एक खास प्रोटीन की नकल तैयार की। इस प्रोटीन को Alpha1H नाम दिया गया है, जिसे अल्फा-लैक्टलबुमिन को सिंथेसाइज़ करके बनाया गया है। अल्फा-लैक्टलबुमिन ब्रेस्ट मिल्क में पाया जाने वाला एक आम प्रोटीन है, जो ओलिएक एसिड नामक फैटी एसिड से बंधा होता है।

स्वीडन के एक विश्वविद्यालय की प्रोफेसर Catharina Svanborg और उनकी टीम ने इस दवा को विकसित किया है। यह शोध कैंसर के उपचार के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है क्योंकि इसने ब्लैडर कैंसर के मरीजों पर बेहद सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं।

ब्लैडर कैंसर में 88% प्रभावी

इस क्लीनिकल ट्रायल के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि Alpha1H ने 88% ब्लैडर कैंसर के शुरुआती स्टेज के ट्यूमर सेल्स को नष्ट किया। इस दवा का असर मरीजों में कंप्लीट या पार्टिशियल रिस्पॉन्स के रूप में देखने को मिला। इसका मतलब है कि यह न केवल ट्यूमर को कम कर सकती है बल्कि उसे पूरी तरह नष्ट करने की भी क्षमता रखती है।

ब्लैडर कैंसर दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार, 2022 में 6,10,000 नए मामले सामने आए और 2,20,000 से अधिक लोगों की मौत हुई। ऐसे में, इस नए उपचार की खोज बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

अन्य प्रकार के कैंसर में भी हो सकता है उपयोग

शोधकर्ताओं का मानना है कि Alpha1H सिर्फ ब्लैडर कैंसर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह अन्य प्रकार के कैंसर में भी असरदार साबित हो सकता है। प्रोफेसर Svanborg के अनुसार, ब्रेस्ट मिल्क का यह प्रोटीन एक बेहद दिलचस्प मॉलेक्यूल है जो विभिन्न प्रकार की ट्यूमर सेल्स के खिलाफ काम कर सकता है। इसका मतलब है कि भविष्य में इसे अन्य कैंसर जैसे ब्रैस्ट कैंसर, फेफड़ों के कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

सही डोज़ से बढ़ी सफलता की संभावना

इस शोध का एक अन्य महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह भी है कि वैज्ञानिकों ने अब इसकी सही डोज़ का निर्धारण कर लिया है। पहले के अध्ययनों में इस प्रोटीन के प्रभाव देखे गए थे, लेकिन अब शोधकर्ताओं को यह पता चल गया है कि उच्च खुराक में इसे देने से ट्रीटमेंट अधिक सफल हो सकता है।

भविष्य की संभावनाएँ

इस शोध से कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक नई क्रांति आ सकती है। यदि आगे के क्लीनिकल ट्रायल्स भी सफल होते हैं, तो Alpha1H को मुख्यधारा के कैंसर उपचार में शामिल किया जा सकता है। इससे न केवल कैंसर के मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

कैंसर के इलाज में यह खोज कितना बड़ा बदलाव ला सकती है? क्या यह अन्य प्रकार के कैंसर के लिए भी उतनी ही प्रभावी होगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन यह निश्चित रूप से विज्ञान की एक बड़ी जीत है।

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