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एक छोटा टुकड़ा डार्क चाकलेट खाने के होते हैं इतने फायदे, बस ध्यान रखें ये बात

डार्क चॉकलेट पोषक तत्वों से भरपूर होती है
 
डार्क चॉकलेट का सेवन हृदय रोग के कई बड़े जोखिम कारकों को कम करता है.


डार्क चॉकलेट को कम मात्रा में खाने से शरीर को ढेरों एंटीऑक्सिडेंट और  खनिज मिलते हैं और आपको हृदय रोग से बचाने में मदद मिल सकती है. लेकिन इसमें अधिक मात्रा में चीनी और कैलोरी भी हो सकती है इसलिए कम मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए. 


डार्क चॉकलेट पोषक तत्वों से भरपूर होती है जो आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है.  यह ढेरों एंटीऑक्सिडेंट्स और मिनरल्स से भरपूर होती है.  कई अध्ययनों से पता चलता है कि डार्क चॉकलेट आपके स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है और हृदय रोग के खतरे को कम कर सकती है. यहां हम आपको डार्क चॉकलेट के कई  फायदे बता रहे हैं. डार्क चॉकलेट में 11 ग्राम फाइबर, 66 प्रतिशत आयरन, 57 प्रतिशत मैग्नीशियम, 196 प्रतिशत तांबे और 85 प्रतिशत मैंगनीज जैसे कई पोषक होते हैं जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.


डार्क चॉकलेट में बाकी चॉकलेट्स की तुलना में कोको अधिक होता है और चीनी कम होती है. यह आमतौर पर   मिल्क   चॉकलेट की तुलना में अधिक फायदेमंद और कम मीठी होती है. 

डार्क चॉकलेट के फायदे

डार्क चॉकलेट का सेवन हृदय रोग के कई बड़े जोखिम कारकों को कम करता है. . इनमें एक है हाई कोलेस्ट्रॉल. फ्लेवेनॉल लाइकोपीन से भरपूर होने की वजह से डार्क चॉकलेट कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल (बैड) कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करती है. डार्क चॉकलेट में मौजूद यौगिक एलडीएल से सुरक्षा देते हैं जिसके परिणामस्वरूप हृदय रोग का खतरा भी कम होता है. 


स्किन के लिए बेहतरीन

डार्क चॉकलेट में मौजूद बायोएक्टिव यौगिक आपकी त्वचा के लिए भी बहुत अच्छे हो सकते हैं. इसमें मौजूद फ्लेवनॉल्स सूरज की क्षति से हुएनुकसान से बचाते हैं. त्वचा में रक्त के प्रवाह में सुधार कर सकते हैं और त्वचा को टाइट और हाइड्रेट रखते हैं.  


डायबिटीज में फायदेमंद

डायबिटीज में चॉकलेट का सेवन सुनने में अटपटा लग सकता है लेकिन कई अध्ययनों से पता चला है कि डॉक्टर के निर्देश पर कोको से समृद्ध डार्क चॉकलेट की हेल्दी मात्रा वास्तव में इस बीमारी में फायदेमंद हो सकती है क्योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर में ग्लूकोज को मेटाबॉलाइज कर देते हैं. इंसुलिन के प्रति आपके शरीर की संवेदनशीलता में सुधार होने से इंसुलिन रेसिस्टेंस कम हो जाता है और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है.  

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