शरीर की सफाई के लिए हर रोज नहाना क्यों जरूरी है?
शरीर को साफ रखना जरूरी है ताकि शरीर का पूर्ण स्वास्थ्य व सामान्य विकास हो सके । हमें धूल और मिट्टी से बचना चाहिए क्योंकि ये हानिकारक ही नहीं बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए विरोधी तत्त्व है। यह अति आवश्यक है कि खाद्य पदार्थ ,पीने वाला पानी और श्वास के द्वारा ली जाने वाली वायु साफ सुथरी हो।
शरीर की सफाई में त्वचा की सफाई भी शामिल है। हमारी त्वचा पर पसीने की ग्रथियाँ होती हैं जो हमारे शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखती हैं। त्वचा शरीर को लचीला बनाती है और शरीर के धूल को बाहर निकलती है। शरीर की स्वच्छता, सुन्दरता और आराम के लिए त्वचा को साफ रखना जरूरी है। ज्यादा गर्मी के कारण पसीना ज्यादा आता है। त्वचा को स्वच्छ न रखने पर त्वचा के छिद्र बन्द हो जाते हैं और पसीना बाहर नहीं आता । ऐसे में त्वचा का काम गुदों और फेफड़ों को करना पड़ता है। अधिक कार्य भार हो जाने पर गुर्दे और फेफड़ों कमजोर हो जाते हैं।
पसीने के साथ शरीर से निकलने वाले व्यर्य पदार्थ त्वचा तक जमने लगते हैं। मिट्टी और धूल के साथ परत मोटी होनी शुरू हो जाती है। इस परत में जीवाणु उत्पन्न होने लगते हैं जिसके कारण रोग पनपते लगते हैं। अधिक संवेदना से भय ,चिंता एवं उतेजना होने पर भी पसीने की मात्रा में वर्धी होती हैं। पसीने की मात्रा जलवायु तया व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग होती है। शरीर के कुछ हिस्से जैसे बगल व जांघों में पसीना अधिक आता हैं जिससे उन स्थानों से दुर्गन्ध आने लगती है। ऐसे स्थानों को अच्छी तरह साफ करने के बाद दुर्गध मिटाने वाले पाउडर लगाने चाहिए। इसी तरह पैर और जननांगो की सफाई के लिए सौम्य साबुन का प्रयोग करना चाहिए ।
तेल की मालिश शरीर को ठंडा रखती है, साथ ही त्वचा को मुलायम और नर्म रखती हैं और इससे शरीर की मांस पेशियों में रक्त प्रवाह बढ़ता है और उनकी कसरत हो जाती है। शायद इसी वजह से हमारे देश में नहाने से पहले तेल द्वारा मालिश करने की परंपरा है। मालिश से त्वचा के छिद्र खुल जाते हैं जिससे पसीने तथा अन्य पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती हैं ।शरीर की थकावट दूर होकर स्फूर्ति आती है। मालिश से व्यक्ति को आराम मिलता है और मन खुश रहता हैं।
त्वचा के साफ न रहने पर कई प्रकार के रोग हो जाते हैं। गर्मियों में पसीना ज्यादा आने के कारण अम्हौरी (Pickly Heat) हो जाती है। यह पसीने की ग्रन्थियों में मौजूद जीवाणु के कारण होता हैं। इसके लिए त्वचा की सफाई , नीचे पहनने वाले कपड़ों को बदलते रहना, सूती वस्त्र पहनना तथा अम्हौरी (घमोरी) नाक त्वचा में कई चर्म रोग जैसे दाद, खाज आदि हो जाते हैं।
शरीर को साफ रखने के लिए स्नान करना आवश्यक है। स्नान हमारी त्वचा और आंतरिक अंगों के लिए लाभकारी हैं।
प्रातः काल एवं सायं को स्नान करना चाहिए। व्यायाम के एकदम बाद, खाना खाने के तुरंत बाद में
स्नान करने से बचना चाहिए। स्नान करते समय वढ़िया किस्म का साबुन प्रयोग करना चाहिए क्योंकि साबुन पसीने और धूल को हटाता हैं। यह त्वचा की चिकनाई को भी कम करता हैं।
स्नान कई प्रकार के होते हैं। जैसे -
1. ठंडा स्थान (Cold Bath)- स्वस्थ व्यक्तियों के लिए ठंडा स्नान उत्तम है क्योंकि यह परिवहन तंत्र ,तंत्रिका तंत्र और
च्यापचय की क्रिया को उत्प्रेरित करता है। जिसके कारण व्यक्ति ताजगी तथा उत्साह महसूस करता हैं। स्नान करने से त्वचा की रचना ,चमक और रंग में निखार आता हैं। ठंडे जल से नहाने के बाद शरीर को ढक लेना चाहिए। ठंडे जल से पहले शरीर को ठंड लगती हैं क्योंकि रक्त धमनियाँ सिकुड़ जाती है और बाद में गर्मी महसूस होती है क्योंकि फिर धमनीया फैलती हैं । जिससे हमें सुख का अनुभव होता हैं ।
2. गरम पानी से स्नान – इस स्नान में पानी का तापमान तकरीबन शरीर के तापमान जितना ही होता हैं।
गरम पानी से गंदगी साफ हो जाती हैं। सोने से पहले गरम पानी से स्नान करने से नींद अच्छी आती हैं।
नहाने के तुरंत बाद त्वचा को तौलिए से रगड़ने से शरीर में खून का दौरा बड़ जाता हैं और शरीर का हल्का व्यायाम हो जाता हैं। ऐसा करने से चमक आती हैं । नहाने के लिए घर के प्रत्येक सदस्य का अलग तोलिया होना चाहिए ।