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महाकवि मंगलेश डब राल का संक्षिप्त जीवन -परिचय ,रचनाओं ,काव्यगत विशेषताओं एवं भाषा -शैली .

मंगलेश डब राल  आधुनिक हिंदी कवि  एवं पत्रकार के रूप में जानें जाते हैं ।
 
साहित्य
श्री डब राल जी ने हिंदी पेट्रीयट ,प्रतिपक्ष और आसपास आदि पत्र -पत्रिकाओं में काम किया

   

1 . जीवन परिचय - मंगलेश डब राल  आधुनिक हिंदी कवि  एवं पत्रकार के रूप में जानें जाते हैं । इनका जन्म सन् 1948 में टिहरी गढ़ वाल [उतरा खंड ] में काफल पानी नामक गाँव में हुआ था । इनकी  शिक्षा -दीक्षा देहरादून में हुई थी । दिल्ली आकार ये पत्र कारिता से जुड़ गए । श्री डब राल जी ने हिंदी पेट्रीयट ,प्रतिपक्ष और आसपास आदि पत्र -पत्रिकाओं में काम किया । इन्होंने इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित होने वालें अमृत प्रभाव में भी काम किया । सन् 1983 में जनसता में साहित्यिक संपादक के पद को संभाला था । श्री डबराल ने कुछ समय के लिए सहारा समय का भी सम्पादन किया था । आजकल डबराल जी नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़कर काम कर रहे है । 

2 प्रमुख रचनायें - अब तक डबराल जी ने चार काव्य -संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । उनके नाम इस प्रकार हैं- पहाड़ पर लालटेन ,घर का रास्ता ,हम जो देखते हैं ,आवाज भी एक जगह हैं ,। इनकी 

रचनाओं के भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी ,रूसी ,जर्मन ,पॉल्सकी ,बलगारी आदि भाषाओं में भी अनुवाद किया । काव्य के अतिरिक्त साहित्य सिनेमा ,संचार ,संचार माध्यम और संस्कृति से संबंधित विषयों 

पर भी इनकी गध्य  रचनायें प्रकाशित हुई हैं । इनकी साहित्यिक उपलब्धियों के कारण इन्हे विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं । 

3. काव्य गत विशेषताएं -  श्री मंगलेश डबराल के काव्य में सामंती बोध एवं पूँजी वादी छल - छदम दोनों का विरोध किया गया हैं । वे यह विरोध अथवा प्रतिकार किसी शोर -शराबे के साथ नहीं ,अपितु 

प्रति पक्ष में सुन्दर सपना रचकर करते हैं । इनकी कविताओं में अनुभूति एवं रगात्मकता विध्यमान हैं । श्री डबराल जहाँ पुरानी परंपराओं का विरोध करते हैं ,वहाँ नए जीवन -मूल्यों का पक्षधर बनकर सामने आते हैं। 

इनका सौंदर्य बोध अत्यंत सूक्ष्म हैं । सजग भाषा की सृष्टी इनकी कविताओं के कलापक्ष की प्रमुख विशेषता हैं । 

4. भाषा -शैली - इन्होनें शब्दों का प्रयोग नए अर्थों में किया हैं । छंद विधान को भी इन्होनें परंपरागत रूप में स्वीकार नहीं किया , किन्तु कविता में लय के बंधन का निर्वाह सफलतापूर्वक किया है । इन्होनें 

काव्य में नई -नई कल्पनाओं का सृजन किया है । बिंब -विधान भी नवीनता लिए हुए हैं । नए -नए प्रतीकों के प्रति इनका मोह छुपा हुआ नहीं हैं । भाषा पारदर्शी और सुन्दर है । 

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