क्षेत्र का परिदृश्य (View from the Field) पर टिपण्णी करें ।
संस्कृति के संपर्क में आने के फलस्वरूप उत्पन्न हुई, जिसे अंग्रेज शासक अपने साथ ले आए थे।
परिचय
Chopta plus: प्रस्तुत इकाई क्षेत्र पर आधारित होने के कारण विभिन्न समाजों में जाति व्यवस्था किस प्रकार कार्य करती है। क्षेत्र में वर्गीकृत होने पर इसकी कौन-कौन सी विशेषताएँ निकलकर हमारे समक्ष आती है।
श्री वास्तव ने भारतीय समाज के 'पाठ-विषयक' और 'व्यवहारवादी दृष्टिकोण में भेद को प्रस्तावित किया, इन्होंने सस्कृतिकरण को एक ऐसी प्रक्रिया माना है, जिसके द्वारा कोई निम्न जाति या जनजाति एवं अन्य समूह किसी उच्चजाति की जीवनशैली, प्रथाओं, मान्यताओं तथा विचारधाराओं को स्वीकार करता है या उन्हें अपनाता है।
संस्कृतिकरण की प्रक्रिया दोहरी प्रक्रिया है, यह न केवल पाप्त करती है, अपितु उच्च जाति को कुछ-न-कुछ प्रदान करती है। संस्कृतिकरण तथा पाश्चात्यीकरण के बीच भेद को स्पष्ट किया गया है कि किस प्रकार बड़े शहरों में रहने वाली उच्च जातियों पाश्चात्यीकरण की प्रक्रिया से गुजर रही हैं।
पाश्चात्यीकरण परिवर्तन की उस प्रक्रिया का द्योतक है. जो भारतीय जन-जीवन, समाज व संस्कृति के विभिन्न पक्षों की उस पश्चिमी संस्कृति के संपर्क में आने के फलस्वरूप उत्पन्न हुई, जिसे अंग्रेज शासक अपने साथ ले आए थे।
क्षेत्र का परिदृश्य अथवा दृष्टिकोण जाति संबंधों की सक्रियता को उजागर करता है। इस इकाई के अंतर्गत निचले स्तर पर जाति के क्या कार्य है, पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।
पिछड़ी जातियों के लिए शिक्षा एवं संवैधानिक प्रावधानों ने जाति व्यवस्था के प्रचालनात्मक पक्ष पर क्या प्रभाव डाला है. इस बात का स्पष्टीकरण इस इकाई में किया गया है। साथ ही जाति व्यवस्था में हाल में हुए परिवर्तनों की चर्चा की गई है।
