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नाथ सम्प्रदाय 9 नाथ और उनका परिचय Nath Sampradaya 9 Nath and his introduction

नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है।
 
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आदिगुरू,  आदियोगी आदिनाथ सर्वश्वर भगवान महादेव सदाशिव है।

चौरासी सिद्ध एवं नौ नाथ 

                       

Nath Sampradaya 9 Nath and his introduction नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है। शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं। इसके अलावा इस सम्प्रदाय में अनेक गुरु हुए जिनमें गुरु मत्स्येंद्रनाथ, गुरु शंकराचार्य , तथा गुरु गोरखनाथ सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। नाथ सम्प्रदाय समस्त भारत में फैला हुआ था। नाथसम्प्रदाय में जोगी और दशनामी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, एक जो संन्यासी जीवन जीता है और दूसरा गृहस्थ। नाथसम्प्रदाय में सन्यासी, योगी, जोगी, नाथ, दसनाम गोस्वामी, गिरि गोस्वामी (बिहार), उपाध्याय (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में), नामों से जाना जाता है।

 

गुरु गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया, अतः इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं। दशनामी गोस्वामी भी नाथ संप्रदाय के अंतरगत ही आने वाला एक उप संप्रदाय है, जिसमें गिरि, पुरी, भारती, पर्वत, सरस्वती आदि जातीय समूह शामिल हैं । Nath Sampradaya 9 Nath and his introduction

 

नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख गुरु
आदिगुरू    आदियोगी आदिनाथ सर्वश्वर भगवान महादेव सदाशिव है।। (हिन्दू देवता)
महर्षि मच्छेन्द्रनाथ    8वीं या 9वीं सदी के योग सिद्ध, "तंत्र" परंपराओं और अपरंपरागत प्रयोगों के लिए मशहूर
महायोगी गोरक्षनाथ (गोरखनाथ)    10वीं या 11वीं शताब्दी में प्रगट, मठवादी नाथ संप्रदाय के संस्थापक, व्यवस्थित योग तकनीकों, संगठन , हठ योग के ग्रंथों के रचियता एवं निर्गुण भक्ति के विचारों के लिए प्रसिद्ध
गुरु शंकराचार्य    एक महान दार्शनिक एवं धर्मप्रवर्तक थे। उन्होने अद्वैत वेदान्त को ठोस आधार प्रदान किया। नाथ संप्रदाय के अंदर ही उप संप्रदाय दसनामी संप्रदाय शुरू किया।


कानीफनाथ    14वीं सदी के सिद्ध, मूल रूप से बंगाल निवासी, नाथ सम्प्रदाय के भीतर एक अलग उप-परंपरा की शुरूआत करने वाले
चौरंगीनाथ    बंगाल के राजा देवपाल के पुत्र, उत्तर-पश्चिम में पंजाब क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त, उनसे संबंधित एक तीर्थस्थल सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में हैl
चर्पटीनाथ    हिमाचल प्रदेश के चंबा क्षेत्र में हिमालय की गुफाओं में रहने वाले, उन्होंने अवधूत का प्रतिपादन किया और बताया कि व्यक्ति को अपनी आन्तरिक शक्तियों को बढ़ाना चाहिए क्योंकि बाहरी प्रथाओं से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता हैl Nath Sampradaya 9 Nath and his introduction 


भर्तृहरिनाथ    उज्जैन के राजा और विद्वान जिन्होंने योगी बनने के लिए अपना राज्य छोड़ दियाl
गोपीचन्दनाथ    बंगाल की रानी के पुत्र जिन्होंने अपना राजपाट त्याग दिया था.
रत्ननाथ    13वीं सदी के सिद्ध, मध्य नेपाल और पंजाब में ख्यातिप्राप्त, उत्तर भारत में नाथ और सूफी दोनों सम्प्रदाय में आदरणीय
धर्मनाथ    15वीं सदी के सिद्ध, गुजरात में ख्यातिप्राप्त, उन्होंने कच्छ क्षेत्र में एक मठ की स्थापना की थी, किंवदंतियों के अनुसार उन्होंने कच्छ क्षेत्र को जीवित रहने योग्य बनाया था .
मस्तनाथ    18वीं सदी के सिद्ध, उन्होंने हरियाणा में एक मठ की स्थापना की थी
यह ज्यादातर राजस्थान , हरियाणा , में निवास करते है ।

जीवन शैली
नाथ साधु-सन्त परिव्राजक होते हैं। वे भगवा रंग के बिना सिले वस्त्र धारण करते हैं। ये योगी अपने गले में काली ऊन का एक जनेऊ रखते हैं जिसे 'सिले' कहते हैं। गले में एक सींग की नादी रखते हैं। इन दोनों को 'सींगी सेली' कहते हैं। उनके एक हाथ में चिमटा, दूसरे हाथ में कमण्डल, दोनों कानों में कुण्डल, कमर में कमरबन्ध होता है। ये जटाधारी होते हैं। नाथपन्थी भजन गाते हुए घूमते हैं और भिक्षाटन कर जीवन यापन करते हैं। उम्र के अंतिम चरण में वे किसी एक स्थान पर रुककर अखण्ड धूनी रमाते हैं। कुछ नाथ साधक हिमालय की गुफाओं में चले जाते हैं।


चौरासी सिद्ध एवं नौ नाथ 

1. मच्छेंद्रनाथ
2. गोरखनाथ
3. जालंदरनाथ
4. नागेशनाथ
5. भर्तरीनाथ
6. चर्पटीनाथ
7. कानीफनाथ
8. गहनीनाथ
9. रेवननाथ

और अन्य ये भी हैं . 

1. आदिनाथ 2. मीनानाथ 3. गोरखनाथ 4.खपरनाथ 5.सतनाथ 6.बालकनाथ 7.गोलक नाथ 8.बिरुपक्षनाथ 9.भर्तृहरि नाथ 10.अईनाथ 11.खेरची नाथ 12.रामचंद्रनाथ।
ओंकार नाथ, उदय नाथ, सन्तोष नाथ, अचल नाथ, गजबेली नाथ, ज्ञान नाथ, चौरंगी नाथ, मत्स्येन्द्र नाथ और गुरु गोरक्षनाथ। सम्भव है यह उपयुक्त नाथों के ही दूसरे नाम है। बाबा शिलनाथ, दादाधूनी वाले, , गोगा नाथ, पंढरीनाथ और श्री स्वामी समर्थ, गजानन महाराज को भी नाथ परंपरा का माना जाता है। वैष्णोवी देवी धाम के भगवान भैरवनाथ भी नाथ संप्रदाय के अग्रज माने जाते हैं। और विशेष इन्हे योगी भी कहते और जोगी भी कहा जाता हैं। देवो के देव महादेव जी स्वयं शिव जी ने नवनाथो को खुद का नाम जोगी दिया हैं। इन्हें तो नाथो के नाथ नवनाथ भी कहा जाता हैं। Nath Sampradaya 9 Nath and his introduction

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