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महाकवि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का जीवन -परिचय एवं उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताएं ।

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी बहुमुखी  प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने लगभग 80 रचनायें लिखी
 
आचार्य
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का आधुनिक साहित्य के साहित्यकारों में प्रमुख स्थान है।

 

1. जीवन -परिचय - आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का आधुनिक साहित्य के साहित्यकारों में प्रमुख स्थान है। इनका जन्म सन् 1864 में राय बरेली के दौलतपुर गावं में हुआ था । आपकी आरंभिक शिक्षा गावं में हुई । आपने स्कूल शिक्षा मैट्रिक तक ही प्राप्त की थी , किन्तु आपने अध्यवसाय ,विपुल जिज्ञासा ,प्रेरित अनवरत अध्ययन और चिंतन -मनन की अपनी प्रवर्ती के कारण हिंदी ,संस्कृत ,अंग्रेजी ,उर्दू ,बांग्ला ,गुजराती आदि अनेक भाषाओं का गहन अध्ययन किया । अपने इसी गुण के कारण आप अपने युग के अग्रणी साहित्यकार रहे । आप भाषा के महापंडित थे । अपने कई वर्षों तक रेलवे विभाग में नौकरी की । आपने 1903 ई० में  (सरस्वती ) पत्रिका के संपादन का कार्यभार संभाला । हिंदी जगत के लिए यह एक महान घटना थी । सन् 1920 तक इस पत्रिका का संपादन करते हुए आपने हिंदी में खड़ी बोली गदह को व्यवसितत् एवं परिष्कृत करके उसे व्याकरण -सम्मत बनाया । आप जीवन -पर्यत साहित्य -साधना में लगे रहे । सन् 1938 में आपका देहांत हो गया । 

2. प्रमुख रचनायें - आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी बहुमुखी  प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने लगभग 80 रचनायें लिखी , जिनमें से

14 अनूदित और 66 मौलिक रचनायें हैं । केवल गदह पर इनकी अनूदित और मौलिक रचनाओं की संख्या 64 हैं । इनके प्रमुख निबंध -संग्रह निम्न हैं -

संकलन ,रसज्ञ रंजन ,लेखजली ,संचयन ,विचार -विमर्श ,साहित्य -सीकर ,समा लोचना समुच्चय  आदि । 

3. साहित्यिक विशेषताएं - आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी युग -प्रवर्तक एवं युग -निर्माता पहले हैं ,साहित्यकार बाद में इसलिए उनके निबंधों में भारतेन्दु अथवा बाद के निबंधकारों की भांति वैयक्तिकता ,रोचकता एवं 

सजीवनता उपलबद्ध नहीं होती । वस्तुतः द्विवेदी जी ने सरस्वती के माध्यम से धर्म ,साहित्य ,समाज ,विज्ञान ,राजनीति आदि विषयों पर जमकर निबंध लिखे । उन्होंने भाषा संस्कार और पुनरुतथान का महान कार्य किया । बेकन उनके समाज के आदर्श निबंधकार थे । बेकन की भांति ही महावीरप्रसाद द्विवेदी जी के निबद्धों में विचारों की अधिकता सर्वत्र देखि जा सकती है । 

4. भाषा -शैली - आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने भाषा सुधार का महान कार्य किया । उनके निबंध में शुद्ध साहित्यिक हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है । वे विषयानुकूल ,व्याकरण सम्मत एवं सरल भाषा के प्रयोग के  पक्ष में थे । उनके निबंधों में विभिन्न शैलियों का प्रयोग हुआ है । उनके साहित्य की भाषा में लोक प्रचलित मुहावरों एवं लोकोक्तियों का भी प्रयोग हुआ हैं । 

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