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महाकवि श्री राम वृक्ष बेनीपुरी का जीवन - परिचय एवं उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताएं । ​​​​​​​

बेनीपुरी ने लगभग 15 वर्ष की आयु में पत्र -पत्रिकाओं में लिखना शुरू किया  तथा  पत्रकारिता को जीवनयापन के साधन के रूप में अपना लिया ।
 
साहित्य
श्री राम वृक्ष बेनीपुरी की रचनाओं में प्रमुख रूप से स्वाधीनता की चेतना ,मनुष्यता की चिंता और इतिहास की युगानुरूप व्याख्या है ।

1. जीवन -परिचय -      श्री राम वृक्ष बेनीपुरी हिंदी के सुप्रसिद्ध निबंध कर हैं । इनका जन्म सन् 1899 को बिहार प्रदेश के मुजफ्फर जिले के छोटे से गाँव बेनीपुर में हुआ था । बचपन में ही इनके पिता का देहांत हो गया था ।  इनका पालन -पोषण इनके ननिहाल में हुआ । इन्होंने बड़ी कठिनाई से मैट्रिक तक शिक्षा ग्रहण की । श्री बेनीपुरी सन् 1920 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में चलाए जा रहे असहयोग  आंदोलन में कूद पड़े । उन्होंने स्वाध्याय के बल पर हिंदी ज्ञान में निपुणता प्राप्त की तथा अंग्रेजी ,उर्दू ,संस्कृत आदि भाषाओं का गहन आद्यान किया । स्वतंत्रता आंदोलन के समय श्री बेनीपुरी जी दस बार जैल  गए । 

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सन् 1957 में आप बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए । बेनीपुरी ने लगभग 15 वर्ष की आयु में पत्र -पत्रिकाओं में लिखना शुरू किया  तथा  पत्रकारिता को जीवनयापन के साधन के रूप में अपना लिया । इन्होनें समय -समय पर  किसान मित्र ,तरुण भारत ,बालक ,युवक ,योगी ,जनता , जनवाणी ,नई धारा ,कर्मवीर आदि अनेक पत्र -पत्रिकाओं का कुशल संपादन किया हैं । इनका निधन सन् 1968 में हुआ था । 

2. प्रमुख रचनायें - श्री बेनीपुरी की प्रमुख रचनायें इस प्रकार हैं -

(1) उपन्यास -  कैदी की पत्नी ,और पतितो के देश में । 

(2)कहानी -संग्रह -   चिता के फूल । 

(3) नाटक तथा एकांकी-  अंबपाली ,संघमित्रा ,सीता की माँ ,नेत्रदान ,विजेता  गावं का देवता ।  

(4)रेखाचित्र - माटी की मूरतें ,गेहूं और गुलाब ,मन और विजेता । 

(5)निबंध तथा संस्मरण - जंजीरें और दीवार ,मुझे याद हैं ,मेरी डायरी ,नयी नारी ,मसाल । 

(6)यात्रा -वृतांत - मेरे तीर्थ ,उड़ते चलों ,उड़ते चलों ,पेरों में पंख बांधकर । 

(7)जीवनी - कार्ल मार्क्स ,जय प्रकाश नारायण । 

3 . साहित्यिक विशेषताएं - श्री राम वृक्ष बेनीपुरी की रचनाओं में प्रमुख रूप से स्वाधीनता की चेतना ,मनुष्यता की चिंता और इतिहास की युगानुरूप व्याख्या है । वे निष्टयावान भारतीय संस्कृति के पुजारी हैं । इनकी रचनाओ में भारतीय संस्कृति के दर्शन होतें हैं । इनके साहित्य में गहन अनुभूतियों और उच्च कल्पनाओं का सुंदर मिश्रण हैं । सार रूप में कहा जा सकता है कि राम वृक्ष बेनीपुरी जी का साहित्य उच्च कोटी का साहित्य हैं ,जिससे मानवता के विकास की प्रेरणा मिलती हैं । 

4. भाषा -शैली -  श्री रामवृक्ष बेनीपुरी के साहित्य की भाषा सरल ,सहज ,रोचक एवं ओजस्वी हैं । अलकृत एवं भावनापूर्ण शैली के कारण हिंदी गध्य -साहित्य  में इनका महत्वपूर्ण स्थान हैं । इन्होनें अपनी रचनाओं में संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ -साथ तद्भव ,देशज ,उर्दू -फारसी व अंग्रेजी के शब्दों का अत्यंत सटीक एवं सार्थक प्रयोग किया हैं । इन्होनें लोक प्रचलित मुहावरों व लोकोक्तियों  का भी सफ़ल प्रयोग किया हैं । 

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