महाकवि श्री यतींद मिश्र का जीवन परिचय एवं उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताएं ।
उत्तर-1. जीवन-परिचय-श्री यतींद्र मित्र का जन्म सन् 1977 में राम-जन्मभूमि अयोध्या में हुआ। उन्होंने लखनऊ विज्ञ लखनऊ से हिंदी विषय में एम.ए. की परीक्षा पास की। वे आजकल स्वतंत्र लेखन के साथ अर्द्धवार्षिक 'सहित' पत्रिका कर रहे हैं। सन् 1999 से अब तक वे 'विमला देवी फाउंडेशन' नामक एक सांस्कृतिक न्यास का संचालन कर रहे हैं का संबंध साहित्य और कलाओं के संवर्द्धन से है। 2. प्रमुख रचनाएँ (क) काव्य-संग्रह-यदा-कदा', 'अयोध्या तथा अन्य कविताएँ', 'ड्योढ़ी पर आलाप।
[H.B.S.E. March, 201
(ख) अन्य रचनाएँ-गिरिजा (शास्त्रीय संगीत गायिका गिरिजा देवी की जीवनी), 'कवि द्विजदेव की ग्रंयावती का याती' (स्पिक मैके के लिए विरासत-2001 के कार्यक्रम के लिए रूपंकर कताओं पर केंद्रित)। 3. सम्मान उन्हें 'भारत भूषण अग्रवाल कविता सम्मान', 'हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार', 'ऋतुराज सम्मा
पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
4. भाषा-शैली-श्री यतींद्र निव की भाषा-शैली सरल, सहज एवं व्यावहारिक है। नौबतखाने में इबादत सुप्रसिद्ध शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के जीवन के विभिन्न पक्षों का विस्तृत वर्णन किया गया है। व्यक्ति-चित्र है। इसमें शास्त्रीय संगीत परंपरा के विभिन्न पहलुओं को सफलतापूर्वक उजागर किया गया है। इस लेखक ने संगीत से संबंधित प्रचलित शब्दों का सार्यक प्रयोग किया है, यथा-सम, सर, ताल, ठुमरी, टप्पा, दाद मुलतानी, भीमपलासी आदि। उर्दू-फारसी के शब्दों का भी भरपूर प्रयोग किया गया है, यवा-दरबार, पेशा, साम मुराद, गमजदा, बदस्तूर आदि। कहीं संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग भी किया गया है। वाक्य रचना सुगठित ए है। कहीं-कहीं संवादों का भी सफल प्रयोग किया गया है, जिससे विषय में रोचकता का समावेश हुआ है। भा एवं चित्रात्मक शैलियों का सफल प्रयोग किया गया है।