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मैक्स वेबर के राज्य पर क्या विचार थे ?

राज्य एक मानव समुदाय  है अथवा  एक विशेष प्रकार की संस्था  है जो एक दिए  हुए क्षेत्र  में शारीरिक बल प्रयोग करने के एकाधिकार का दावा करती है।
 
मेक्स वेबर
राज्य और सत्ता के संबंध में वेबर के सिद्धांत परस्पर सम्बद्ध है

मैक्स वेबर के अनुसार राज्य एक मानव समुदाय  है अथवा  एक विशेष प्रकार की संस्था  है जो एक दिए  हुए क्षेत्र  में शारीरिक बल प्रयोग करने के एकाधिकार का दावा करती है। इससे इसका अभिप्राय राज्य द्वारा अपने नागरिकों से अपनी आज्ञा मनवाने मात्र को सुनिशीचीत करना ही नहीं  था अपितु राज्य के इस अधिकारको स्वीकृति देना था। इस प्रकार वैध हिसा पर  एकाधिकार राज्य की सप्रभुता को व्वयहार में प्रकट करता है। वह आधुनिक समाज में  राज्य  को एक अत्यधिक शक्तिशाली संस्था के रूप में देखता है क्योंकि इसे एक निश्चित क्षेत्र पर वैध  ढंग से बल प्रयोग करने का एकाधिकार प्राप्त है।

यह आधुनिक राज्य की चार विशेषताओं का विस्तार से वर्णन करता है :पहला टो यह  कि राज्य की कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था होती है जिसे केवल विधायी तरीको से न कि किसी लार्ड  अथवा करिश्माई नेता के इशारे पर बदला जा सकता है। दूसरे इसका अपना प्रशासन होता है जो कानून के अनुसार चलता है। इसका अर्थ है कि प्रशासनिक अधिकारी और न्यायपालिका अपने कानून को लागू करते हैं। तीसरे राज्य का अपने सभी सदस्यों तथा अपने क्षेत्र में होने वाले कार्यों पर  अधिकार होता है और प्राय जन्म से ही सदस्यता प्रदान की जाती है। अत में राज्य बल योग कर सकता है यदि यह कानूनी तौर पर मान्य एवं स्वीकृत हो।

वेबर के लिए राजनीतिक समाज वह समाज है जिसकी व्यवस्था और अस्तित्त्व की एक निश्चित क्षेत्र में रक्षा प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बल प्रयोग अथवा बल प्रयोग की धमकी से की जाती है। एक राजनीतिक संगठन तब राज्य बन जाता है जब वह अपने निश्चित क्षेत्र में सफलतापूर्वक बल प्रयोग करने का वैध एकाधिकार प्राप्त कर लेता है। वेबर के अनुसार, अनूनी, धार्मिक और राजनीतिक संस्थाओं तथा उनके अंतर्संबंधों का आर्थिक संरचना और आर्थिक संस्थाओं पर निर्णायक महत्त्व होता है न कि इससे उलट-जैसा कि मार्क्स ने बताया । वेबर मार्क्स के आर्थिक निर्धारण का विरोध करता है। वह प्रशासन के साधनों के संकेंद्रण हो राष्ट्र-राज्य का महत्त्वपूर्ण तत्त्व मानता है।

यह देखा जा सकता है कि राज्य और सत्ता के संबंध में वेबर के सिद्धांत परस्पर सम्बद्ध है। क्रमशः इनका उसके प्रभुता के सिद्धांत से निकट का संबंध है। वेबर तीन प्रकार की प्रभुता की चर्चा करता है: चमत्कारिक, परंपरागत और कानूनी-विवेक सम्मत। उसके अनुसार ये जोनों तरह की प्रभुता किसी भी स्थिति में साथ-साथ रहती है परंतु यह संभव है कि कोई एक बर हो। वेबर का कहना है कि आधुनिक राज्य में कानूनी-विवेक सम्मत प्रभुता अधिक प्रखर है।

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