महाकवि नागार्जुन mahakavi nagarjune .
नागार्जुन की भाषा खड़ी बोली है, लेकिन इन्होंने खड़ी बोली के बोलचाल रूप को ही अपनाया है।
Updated: Jul 27, 2024, 16:48 IST
मैथिली में इनको साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी मिला है ।
महाकवि नागार्जुन का संक्षिप्त जीवन -परिचय ,रचनाओं ,काव्य गत विशेषताओं और भाषा -शैली .
1. जीवन -परिचय - जनवादी कवि नागार्जुन का वास्त विक नाम वैद्य नाथ मिश्र था । उनका जन्म बिहार प्रदेश के दरभंगा जिले के सतलखा नामक गावं में सन् 1911 में हुआ । अल्प आयु में इनकी माँ का देहांत हो गया । एक रुढ़ि वादी ब्राह्मण परिवार में इनका लालन -पालन हुआ । इनकी पारंभिक शिक्षा स्थानीय संस्कृत विधालय में हुई ।
सन् 1936 में श्री लंका में जाकर इन्होंने बोद्ध धर्म में दीक्षा ली । राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेनें के कारण अनेक बार उनको जैल भी जाना पड़ा । संस्कृत ,पालि ,प्राकृत तथा हिंदी सभी भाषाओं का इन्होंने गहरा अध्ययन किया । वैसे ये स्वभाव से फक्कर ,मस्त मौला तथा अपने मित्रों में नाग बाबा के नाम से जानें जाते हैं । सन् 1998 में इनका देहांत हो गया ।
2. प्रमुख रवनाएँ- [1 ] काव्य - युग धारा ,प्यासी पथराई आँखे ,सतरंगे पंखों वाली ,प्यासी परछाई ,तालाब की मछलियाँ ,हजार हजार बाहों वाली ,तुमने कहा था ,खून और शोले , चना जोर गरम तथा भस्मा कूर [खंड काव्य ]