महाकुंभ पर आतंकी हमले का खतरा, ट्रेनों की चेकिंग और सुरक्षा के कड़े इंतजाम.
भारत में महाकुंभ मेला एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है, जो लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह मेला हर छह साल में एक बार आयोजित होता है और इस बार यह 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा।
महाकुंभ का धार्मिक महत्व तो है ही, लेकिन यह एक बड़ा सामूहिक आयोजन भी है, जो सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस मेले में आने वाले लाखों लोग न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों से होते हैं, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
इसके अलावा, महाकुंभ का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब पूरे देश में सुरक्षा को लेकर चिंता का माहौल है, विशेष रूप से खालिस्तानी आतंकवादियों की धमकियों के चलते। ऐसे में, महाकुंभ मेला इस बार खास सुरक्षा इंतजामों का केंद्र बन गया है।
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों और विभिन्न राज्यों के पुलिस अफसरों के बीच हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें महाकुंभ के सुरक्षा प्रबंधों पर विस्तार से चर्चा की गई।
यह बैठक दिल्ली में हुई, जिसमें 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस अफसरों ने भाग लिया। इस बैठक का उद्देश्य महाकुंभ, विधानसभा चुनाव और गणतंत्र दिवस के समय होने वाली संभावित सुरक्षा समस्याओं से निपटना था।
विशेष रूप से खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा महाकुंभ को टारगेट करने की धमकी मिलने के बाद सुरक्षा को लेकर एक नया और सख्त दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता महसूस की गई।
खालिस्तानी आतंकवादियों की धमकी
महाकुंभ के आयोजन से पहले, खुफिया जानकारी सामने आई थी कि खालिस्तानी आतंकी संगठन महाकुंभ को अपने हमलों का निशाना बना सकते हैं।
गुरपतवंत सिंह पन्नू, जो खालिस्तानी आतंकवादी संगठन के प्रमुख हैं, ने एक वीडियो जारी करके महाकुंभ को टारगेट करने की धमकी दी थी। पन्नू का यह वीडियो सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी के रूप में था, जिससे पूरे देश में सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई।
खुफिया इनपुट्स में यह भी बताया गया कि आतंकवादी संगठन किसी प्रकार से दहशत फैलाने की योजना बना रहे हैं, और इसके लिए वे सार्वजनिक स्थानों, खासकर ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों को टारगेट कर सकते हैं।
इस स्थिति को देखते हुए, उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों ने महाकुंभ के दौरान आने वाली सभी ट्रेनों की सघन तलाशी की योजना बनाई है। अधिकारियों का कहना है कि आतंकवादी ट्रेन यात्रा करने वाले लोगों के बीच अपने हमलों को अंजाम दे सकते हैं, इसलिए ट्रेनों में किसी भी संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति की तलाश बेहद जरूरी है।
इसके अलावा, रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
रेलवे सुरक्षा का कड़ा इंतजाम
महाकुंभ के दौरान दिल्ली से 32 विशेष ट्रेनें और 21 अनारक्षित ट्रेनें चलने वाली हैं, जो लाखों श्रद्धालुओं को लेकर प्रयागराज पहुंचेंगी। इन ट्रेनों को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस के अफसरों ने सुझाव दिया कि हर ट्रेन की अच्छी तरह से जांच की जाए, ताकि आतंकवादी किसी भी प्रकार से अपने मंसूबे को अंजाम न दे सकें।
इन ट्रेनों की तलाशी के अलावा, रेलवे स्टेशनों पर भी अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को स्टेशन से बाहर न जाने दिया जाए। इसके साथ ही, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ट्रेनों के साथ-साथ रेलवे परिसरों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की अध्यक्षता में बैठक
दिल्ली में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों और विभिन्न राज्यों के पुलिस अधिकारियों की बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक की अध्यक्षता दिल्ली पुलिस के पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने की।
इस बैठक में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर के पुलिस अफसरों ने भाग लिया। इसके अलावा, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने भी इस बैठक में शिरकत की।
बैठक में महाकुंभ के दौरान रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अलावा, विधानसभा चुनाव और गणतंत्र दिवस के सुरक्षा इंतजामों पर भी चर्चा की गई।
दिल्ली विधानसभा चुनाव और गणतंत्र दिवस समारोह को लेकर भी सुरक्षा बलों के बीच तालमेल बनाने पर जोर दिया गया। इसके तहत चुनावी क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने, अवैध शराब और कैश की आवाजाही पर निगरानी रखने, और ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई गई।
नौकर और किराएदार वेरिफिकेशन
महाकुंभ के दौरान, सुरक्षा को लेकर एक और महत्वपूर्ण पहलू सामने आया, और वह था किराएदार और नौकरों की वेरिफिकेशन। पुलिस अफसरों ने इस पर जोर दिया कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को रोकने के लिए किराएदार और घरेलू सहायकों का सत्यापन किया जाए। यह पहल स्थानीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
बॉर्डर चेकिंग और तालमेल
बैठक में बॉर्डर चेकिंग के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। पुलिस अधिकारियों ने बॉर्डर पर कड़ी निगरानी रखने और संदिग्ध लोगों की आवाजाही को रोकने के उपायों पर जोर दिया। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों के पुलिस विभागों और केंद्रीय एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाने पर भी सहमति बनी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर राज्य और केंद्रीय एजेंसी मिलकर काम करे और सुरक्षा प्रबंधों में कोई कमी न होने पाए।
सुरक्षा का समग्र दृष्टिकोण
महाकुंभ, विधानसभा चुनाव और गणतंत्र दिवस के समय सुरक्षा को लेकर केंद्रीय और राज्य पुलिस एजेंसियों के बीच एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी प्रकार की सुरक्षा चूक न हो, और सभी संभावित खतरों से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।
खालिस्तानी आतंकियों की धमकियों के बावजूद, सुरक्षा एजेंसियां हर कदम पर सतर्क हैं, ताकि महाकुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
निष्कर्ष
महाकुंभ मेला एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। हालांकि, सुरक्षा के लिहाज से यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, खासकर खालिस्तानी आतंकवादियों की धमकियों के संदर्भ में।
इस स्थिति को देखते हुए, भारत सरकार और राज्य पुलिस विभागों ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। महाकुंभ के दौरान आने वाली ट्रेनों की सघन तलाशी, रेलवे स्टेशनों पर कड़ी सुरक्षा, और स्थानीय सुरक्षा के उपायों के अलावा, चुनाव और गणतंत्र दिवस के लिए भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।
यह सभी कदम देश के नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए उठाए गए हैं, और आशा है कि इस बार महाकुंभ का आयोजन पूरी सुरक्षा के साथ सफलतापूर्वक संपन्न होगा।